What are Output Devices of Computer आउटपुट डिवाइस किसी कंप्यूटर का एक महत्वपूर्ण भाग है. आप जो कुछ कहते या करते हैं, जो कुछ एक इनपुट डिवाइस द्वारा इनपुट किया गया होता है और सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट द्वारा इसे जिस प्रकार एग्जीक्यूट किया गया होता है यह सब आउटपुट डिवाइसेज पर प्रतिबिंबित होता है. यह हमारे चेहरे की तरह है जिस पर हमारे मन में चल रही प्रत्येक हलचल प्रतिबिंबित होती है. आउटपुट डिवाइसेज अनेक हैं जो हमने अपने इनपुट का परिणाम देखने में चेहरा प्रदान करती है.

What are Output Devices of Computer – आउटपुट डिवाइस हार्डवेयर का एक अवयव अथवा कंप्यूटर का मुख्य भौतिक भाग होता है. जिसे छुआ जा सकता है तथा जिसे कंप्यूटर यूजर के समक्ष सूचना प्रस्तुत करने के लिए प्रयोग किया जाता है. यह सूचना के किसी भी भाग तथा सूचना के किसी भी प्रकार जैसे ध्वनि, डाटा, मेमोरी, इमेज इत्यादि को प्रदर्शित करता है. सामान्य आउटपुट डिवाइसेज में समानता मॉनिटर प्रिंटर एयरफोन तथा प्रोजेक्टर सम्मिलित होते हैं.
What are Output Devices of Computer| कंप्यूटर के आउटपुट डिवाइसेस
सॉफ्टकॉपी बनाम हार्डकॉपी आउटपुट
सामान्यतः हमें जो आउटपुट प्राप्त होता है वह दो रूपों में होता है. कुछ आउटपुट को हम स्पर्श नहीं कर सकते हैं परंतु कुछ को हम स्पर्श कर सकते हैं तथा उन्हें अपने पास रख सकते हैं. उदाहरण के तौर पर स्क्रीन पर जो आउटपुट हम देखते हैं वह केवल हम देख सकते हैं वह भौतिक भौतिक रूप में नहीं होता है, परंतु जो आउटपुट हम प्रिंटर के माध्यम से कागज या किसी अन्य माध्यम पर प्राप्त करते हैं वह भौतिक रूप में होता है तथा उसे हम स्पर्श करते हैं. वह आउटपुट जो अपने भौतिक रूप में नहीं होता है तथा जिसे हम स्पष्ट नहीं कर सकते हैं सॉफ्ट आउटपुट कहलाते है. सॉफ्ट आउटपुट को वह आउटपुट भी कह सकते हैं जिसे ऑफलाइन रिकॉर्ड नहीं किया जा सकता है. मॉनिटर के दृश्य, स्पीकर की आवाज इत्यादि सॉफ्ट आउटपुट के उदाहरण है. वह आउटपुट जो अपने भौतिक रूप में होता है तथा जिसे हम स्पर्श कर सकते हैं हार्ड आउटपुट कहलाता है. हार्ड आउटपुट को वह आउटपुट भी कहा जा सकता है जिसे ऑफलाइन रिकॉर्ड किया जा सकता है. प्रिंटर से छापा गया दस्तावेज तथा नक्शा हार्ड आउटपुट के उदाहरण है.
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मॉनिटर
मॉनिटर एक ऐसी आउटपुट डिवाइस है जो टीवी जैसे स्क्रीन पर आउटपुट को प्रदर्शित करती है. मॉनिटर को सामान्यता उसके द्वारा प्रदर्शित रंगो के आधार पर तीन भागों में वर्गीकृत किया जाता है मोनोक्रोम, ग्रेस्केल और कलर.
- मोनोक्रोम – यह शब्द दो शब्दों मोनो अर्थात एकल तथा क्रोम अर्थात रंग से मिलकर बना है. इस प्रकार के मॉनिटर आउटपुट को श्वेत श्याम रूप में प्रदर्शित करते हैं.
- ग्रे-स्केल – ग्रेस्केल विशेष प्रकार के मोनोक्रोम मॉनिटर होते हैं जो विभिन्न ग्रे शेड्स में आउटपुट प्रदर्शित करते हैं. इस प्रकार के मॉनिटर जो अधिकतर फ्लैट पैनल में होते हैं हेंडी कंप्यूटर जैसे कि लैपटॉप में प्रयुक्त किए जाते हैं.
- कलर मॉनिटर – ऐसा मॉनिटर आरजीबी की किरणों के समायोजन के रूप में आउटपुट को प्रदर्शित करता है. आरजीबी कांसेप्ट के कारण ऐसे मॉनिटर उच्च रिजर्वेशन में ग्राफिक्स को प्रदर्शित करने में सक्षम होते है. कंप्यूटर मेमोरी की क्षमतानुसार ऐसे मानिटरिंग 16 से लेकर 16 लाख तक के रंगों में आउटपुट प्रदर्शित करने की क्षमता रखते हैं.
सी.आर.टी. मॉनिटर -अधिकतर मॉनिटर्स में पिक्चर ट्यूब एलिमेंट होता है जो टीवी सेट के समान होता है. यह ट्यूब सीआरटी (कैथोड रे ट्यूब) कहलाती है. सीआरटी तकनीक सस्ती और उच्च रंगीन आउटपुट देने में सक्षम है.
सी.आर.टी. मॉनिटर कैसे कार्य करते है?
सीआरटी तकनीक रास्टर ग्राफिक्स के सिद्धांत पर कार्य करती है. पिक्चर ट्यूब में से वायु निकालकर निर्वात कर लिया जाता है. मोनोक्रोम मॉनिटर में इसकी समतल सतह की ओर इलेक्ट्रॉन की पतली पुंज छोड़ी जाती है. समतल सतह के आंतरिक पृष्ठ पर फास्फोरस का लेपन होता है जो उच्च गति के इलेक्ट्रान के टकराव से प्रकाश उत्सर्जित करता है जिससे एक पिक्सेल चमकता है. यह संभव है कि इस प्रकार के मॉनिटर में अनेक इलेक्ट्रॉन एक ही बिंदु पर आघात करके फास्फोरस को जला सकते हैं, इसलिए इलेक्ट्रॉन जेड आकृति में गमन करता हुआ संपूर्ण स्क्रीन पर पिक्सेल को सक्रिय करता है. इलेक्ट्रॉन पुंज की जेड आकृति की यह गति रास्टर कहलाती है.
पिक्चर ट्यूब की दूसरी सतह जिसे नेक कहते हैं इलेक्ट्रॉन को चुम्बकीय क्षेत्र के नियंत्रण में दिशा देते हुए भेजती हैं.
जब एक पिक्सेल क्षण भर के लिए चमककर निष्क्रिय होता है तो इसे रिफ्रेश कहते है. इसके बार बार रिफ्रेश होने की दर, रिफ्रेश दर कहलाती है जो 35 बार प्रति सेकंड होती है. यदि रिफ्रेश दर कम होगी तो पिक्चर त्युबे हिलती या लहराती हुई दिखाई देगी, क्योंकि फास्फोरस के कण अपनी दीप्ती अपनी जल्दी-जल्दी खोते हैं.
प्रत्येक पिक्सेल की चमक इलेक्ट्रॉन पुंज की तीव्रता पर निर्भर करती है, जो इलेक्ट्रान गन के वोल्टेज पर निर्भर करती है. यह वोल्टेज नियंत्रित भी किया जा सकता है. डिजिटल मॉनिटर्स में वोल्टेज की उपस्थिति और अनुपस्थिति पिक्सेल को ऑन और आप करती है. अत्याधुनिक मॉनिटर जिन्हें एनालॉग मॉनिटर कहते हैं प्रत्येक पिक्सेल की स्पष्टता को इलेक्ट्रॉन की निरंतर पुंज (बीम) से नियंत्रित किया जा सकता है. मोनोक्रोम मॉनिटर की सीआरटी में यह तकनीक ग्सेरे स्केल प्रभाव उत्पन्न करती है. कलर मॉनिटर की CRT में यह तकनीक डिजिटल मॉनिटर की तुलना में अधिक संख्या में रंगों की सुविधा प्रदान करती है.
रंगीन मॉनिटर की CRT में अनेक अतिरिक्त भाग जोड़े जाते हैं. जैसे एक इलेक्ट्रॉन गन के स्थान पर तीन इलेक्ट्रॉन गन होती है, जो लाल, हरे और नीले रंग के लिए अलग-अलग लगाई जाती है. इसके अंदर की सतह पर फास्फोरस की ट्रिपल कोटिंग होती है, जिससे की एक पिक्सेल तीन रंगों को उत्सर्जित कर सके. लाल, हरे और नीले रंग के अलावा अन्य रंग और उनकी आभा व् छाया इलेक्ट्रॉन पुंज की तीव्रता को घटा बढ़ाकर पैदा की जाती है.
सभी सीआरटी मॉनिटर रास्टर ग्राफिक्स पर कार्य नहीं करते हैं. कुछ mordern सीआरटी मॉनिटर वेक्टर ग्राफिक्स तकनीक पर कार्य करते हैं. जो कि कुछ उन्नत श्रेणी की तकनीक है, जिसे स्क्रीन पर एनिमेशन और और स्पेशल ग्राफिक्स को डिस्प्ले करने के लिए यूज किया जाता है.

What are Output Devices of Computer
फ्लैट पैनल मॉनिटर
सीआरटी तकनीक के स्थान पर हाल में मॉनीटर्स और डिस्प्ले डिवाइसेज की नई तकनीक विकसित की गई है, जिनमें आवेशित रसायनिक गैसों को कांच की प्लेटों के मध्य संयोजित किया जाता है. यह पतली डिस्प्ले डिवाइसेज फ्लैट पैनल डिस्पले कहलाती है. यह डिवाइस वजन में हल्की और विद्युत की कम खपत करने वाली होती है. ये डिवाइस लैपटॉप कंप्यूटरों में लगाई जाती है.
फ्लैट पैनल डिस्पले में लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले तकलीफ होती है. एलसीडी में सीआरटी तकनीक की तुलना में रिवॉल्यूशन कम होता है जिससे आउटपुट स्पष्ट नहीं आता है. दो अन्य फ्लैट पैनल तकनीकों के नाम गैस प्लाज्मा डिस्प्ले, इलेक्ट्रॉल्यूमिनिसेंट डिस्प्ले है. GPD और ELD तकनीक एलसीडी की तुलना में अच्छा रेसालुशन देता है लेकिन अभी यह तकनीक बहुत महंगी है.
लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले
सीआरटी मॉनिटर बिल्कुल आपके टेलीविजन की तरह हुआ करता है. तकनीक के विकास के साथ मॉनिटर ने भी अपने रूप बदले और आज सीआरटी मॉनिटर के बदले एलसीडी मॉनिटर प्रचलन में आ गए. एलसीडी मॉनिटर बहुत ही आकर्षक होता है तथा सीआरटी मॉनिटर की अपेक्षा हल्के और किफायती होते हैं.
लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले को बेहतर रूप से इसके संक्षिप्त रूप एलसीडी से जानते हैं. यह डिजिटल डिस्पले तकनीक है जो एक फ्लैट सर्फेस पर लिक्विफाइड क्रिस्टल के माध्यम से आकृति बनाती है. यह कम जगह लेती है तथा कम ऊर्जा खपत करता है तथा पारंपरिक कैथोड रे तtube मॉनिटर की अपेक्षाकृत कम गर्मी पैदा करती है. लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले वर्षों से लैपटॉप की स्क्रीन के रूप में प्रयोग होता रहा है. अब यह स्क्रीन डेक्सटॉप कंप्यूटर के लिए भी प्रयोग हो रही है. एलसीडी के सीआरटी मॉनिटर के मुकाबले में कई फायदे हैं यह क्रिस्प टेक्स्ट प्रस्तुत करते हैं. यह आम तौर पर 10 इंच से भी कम मोटा होता है. इसकी एक या दो महत्वपूर्ण कमियां भी है. एलसीडी मॉनिटर के रंग की क्वालिटी की तुलना सीआरटी से नहीं की जा सकती है तथा सीआरटी के मुकाबले इसकी कीमत लगभग ढाई गुना अधिक होती है.
सन 1988 में खोजा गया लिक्विड क्रिस्टल लिक्विड रसायन होते हैं जिनके कणों को इलेक्ट्रिकल फील्ड के अंदर सही ढंग से एलाइन किया जा सकता है. यह ठीक उसी प्रकार होता है जिस प्रकार चुम्बकीय फील्ड में आने के बाद धातु के कारण कतारबद्ध हो जाते हैं. कणों के ठीक से अलाइन हो जाने के पश्चात लिक्विड क्रिस्टल की सहायता से इनके मध्य प्रकाश गमन करता है.
लैपटॉप या डेस्कटॉप पर एलसीडी स्क्रीन मल्टीलेयर्ड एक तरफ से ऊंचा करते हुए सैंडविच होती है. एक फ्लोरोसेंट प्रकाश स्रोत जिसे बैकलाइट कहा जाता है सबसे पहले पतली परत (फर्स्ट लेयर) का निर्माण करता है. प्रकाश पहले दो पोलराइजिंग फिल्टर्स के बीच से गुजरता है. उसके बाद पोलराइज्ड प्रकाश एक परत से गुजरता है जिसमें हजारों लिक्विड क्रिस्टल की बहुत ही गाड़ी बूंदे छोटे छोटे सेलों में प्रदर्शित होती है. फिर वही सेल स्क्रीन पर पंक्तियों के रूप में प्रदर्शित होते हैं. एक या अधिक सेलों से मिलकर पिक्सेल बनता है. पिक्सेल डिस्प्ले पर सबसे छोटा दिखने वाला बिंदु होता है. एलसीडी के किनारे के विद्युत तार इलेक्ट्रिक फील्ड पैदा करते हैं जो क्रिस्टल कण को मोड़ कर दूसरे पोलराइजिंग फिल्टर के प्रकाश को कतारबद्ध कर इसे पास होने देता है. कभी-कभी एक या अधिक पिक्सेल को विद्युत धारा भेज रही मेकेनिस्म विफल होने की स्थिति में बिल्कुल काला पिक्सेल मॉनिटर पर नजर आता है.
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करीब-करीब सभी नोटबुक तथा डेस्कटॉप के रंगीन एलसीडी में एक पतला फिल्म ट्रांजिस्टर जिसे एक्टिव मैट्रिक्स भी कहते हैं का इस्तेमाल प्रत्येक सेल को एक्टिव करने के लिए होता है. टीएफटी एलसीडी तीव्र तथा चमकीले इमोजो का निर्माण करते हैं. पूर्व की एलसीडी तकनीकियां धीमी तथा कम कुशल थी तथा निम्न लोअर कंट्रास्ट उपलब्ध कराती थी. सबसे पुरानी मैट्रिक्स तकनिकों में एक निष्क्रिय मैट्रिक्स तेज टेक्स्ट प्रस्तुत करते हैं परंतु तेजी से बदलते समय डिस्प्ले सायेदार आकृतियां (इमेजेस) को बनाते हैं जो मोशन वीडियो के लिए कम अनुकूल होता है. आज अधिकतर श्याम श्वेत पामटॉप तथा मोबाइल फोन में निष्क्रिय (पैसिव) मैट्रिक्स एलसीडी का ही प्रयोग होता है.
क्योंकि एलसीडी प्रत्येक पिक्सेल को अलग-अलग एड्रेस करता है वे सीआरटी से अधिक तीव्र टेक्स्ट बनाते हैं जो कि फोकस होने पर सभी स्पष्ट पिक्सेल को धुंधला करता है जो स्क्रीन इमेज को तैयार करता है. लेकिन एलसीडी का उच्च कंट्रास्ट उस वक्त मुश्किल पैदा कर सकता है जब आप ग्राफ़िक्स को प्रदर्शित करना चाहते है. सी.आर.टी. टेक्स्ट के साथ साथ ग्राफ़िक्स तथा टेक्स्ट के किनारों को भी सौम्य बनाते है तथा फलस्वरूप यह कम रेजालुशन पर टेक्स्ट को पढने योग्य बनता है. इसका अर्थ यह भी है की सी.आर.टी. फोटोग्राफ्स में भी एल.सी.डी. से बेहतर बारीकियां डाल सकता है. एल.सी.डी. में केवल एक प्राकृतिक रेजलुशन होता है, जो की डिस्प्ले में भौतिक रूप से लगे पिक्सेल को सिमित कर देता है. यदि आप 800X600 एल.सी.डी. में 1024X768 तक का रेजलुशन तक जाना चाहते है तो आपको सॉफ्टवेर के साथ इम्युलेट करना पड़ता है जो केवल खास रेजलुशन पर ही कार्य करेगा.
सी.आर.टी. की तरह ही डेस्कटॉप एल.सी.डी. पी.सी. से आये एनालॉग सिग्नल्स जो तरंग रूप में होते है, को स्वीकार करने हेतु बनाया गया है जो वस्तुतः पी.सी. से आई बाइनरी तरंग (वेव) रूप के विपरीत होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अधिकतर स्टैण्डर्ड ग्राफ़िक्स बोर्ड्स आज भी विसुअल सुचना को मॉनिटर को भेजने से पहले नेटिव डिजिटल फॉर्म से एनालॉग फॉर्म में बदलते है. परन्तु एल.सी.डी. सुचना को डिजिटल रूप में प्रोसेस करते है इसलिए जब किसी स्टैण्डर्ड ग्राफ़िक्स बोर्ड्स से एनालॉग डाटा एल.सी.डी. मॉनिटर तक पहुचता है तब मॉनिटर को इसे वापस डिजिटल फॉर्म में बदलने की आवश्यकता होती है. नए डिजिटल एल.सी.डी. स्पेशल ग्राफ़िक्स बोर्ड का प्रयोग डिजिटल कोन्नेक्टोर्स के साथ डिस्प्ले को शार्प रखने के उद्देश्य से करते है.

एल.सी.डी. की खूबियाँ
- कम जगह लेता है.
- कम झिलमिलाहट होती है.
- कम उर्जा की खपत होती है.
- बिजली पर होने वाले खर्च को कम करता है.
एल.सी.डी. की कमियां
- पिक्चर की क्वालिटी अपेक्षाकृत अच्छी नहीं होती है.
- इसमें केवल एक ही कोण से देखा जा सकता है.
- यह सी.आर.टी. के मुकाबले में बहुत महंगा होता है.
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सी.आर.टी. बनाम एल.सी.डी.
सी.आर.टी. तथा एल.सी.डी. में रूप, आकर, कीमत, कार्यप्रणाली का बहुत बड़ा अंतर है. आज डेस्कटॉप कंप्यूटर के साथ भी सी.आर.टी. का उपयोग कम होता जा रहा है तथा एल.सी.डी. इसकी जगह ले रहा है. सी.आर.टी. और एल.सी.डी. मॉनिटर की कार्यप्रणाली भी भिन्न है. एल.सी.डी. मॉनिटर में पतली पोलराइज्ड शीट्स के भीच लिक्विड क्रिस्टल होते है. लिक्विड क्रिस्टल लिक्विड चारकोल होते है. इसके कारन एल.सी.डी. अपेक्षाकृत पतले तथा सी.आर.टी. के मुकाबले में अधिक हल्के होते है. एल.सी.डी. सी.आर.टी. के मुकाबले मात्र एक तिहाई ही उर्जा लेते है तथा सी.आर.टी. के मुकाबले इससे कम विकिरण निकलती है. फलस्वरूप आखों में तनाव कम होता है. एल.सी.डी. मॉनिटर की एक कमी भी है. यह केवल 160 डिग्री पर ही दीखता है, इसीलिए दूसरी ओर से स्पष्ट नहीं दिख पाता है.
मॉनिटर की मुख्य विशेषताएं
मॉनिटर की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित है-
रेजोलुशन
डिस्प्ले डिवाइस (मॉनिटर) का महत्वपूर्ण गुण रेजोलुशन या स्क्रीन के चित्र की स्पष्टता (शार्पनेस) होता है. अधिकतर डिस्प्ले डिवाइस में चित्र (इमेज) स्क्रीन के छोटे-छोटे डॉट्स के चमकने से बनते है.
स्क्रीन पर ये छोटे-छोटे डॉट्स, पिक्सेल कहलाते है. यहाँ पिक्सेल शब्द पिक्चर एलिमेंट का संशिप्त रूप है. स्क्रीन पर ईकाई क्षेत्रफल (यूनिट एरिया) में पिक्सेल्स की संख्यां रेजोलुशन को व्यक्त करती है.
स्क्रीन पर जितने अधिक पिक्सेल होंगे, स्क्रीन का रेजोलुशन भी उतना ही अधिक होगा, अर्थात चित्र उतना ही स्पष्ट होगा. माना एक डिस्प्ले रेजोलुशन 640X480 है तो इसका अर्थ है की स्क्रीन 640 डॉट्स के कॉलम और 480 डॉट्स की पंक्रियाँ (रो) से बनी है.
टेक्स्ट के अक्षर या करैक्टर स्क्रीन पर डॉट मैट्रिक्स विन्यास से बने होते है. सामान्यतः मैट्रिक्स का आकार 5X7 = 35 पिक्सेल या 7X12 = 84 पिक्सेल के रूप में एक टेक्स्ट करैक्टर डिस्प्ले करने के लिए होती है. इस प्रकार एक स्क्रीन पर 65 करैक्टर की 25 पंक्तियाँ डिस्प्ले की जा सकती है. स्क्रीन पर हम इससे अधिक रेजोलुशन प्राप्त कर सकते है.
रिफ्रेश रेट
कंप्यूटर मॉनिटर लगातार कार्य करता रहता है, लेकिन परिवर्तन इतनी तेजी से होते है की हमारी आखें इन्हें अनुभव नहीं करती है. कंप्यूटर स्क्रीन पर इमेज बाएं से दायें तथा ऊपर से निचे बदलती रहती है जो इलेक्ट्रान गन के द्वारा व्यवस्थित होती रहती है, परन्तु यह इतना तीव्र होता है की इमेज स्क्रीन पर स्टेबल लगते है. इसका अनुभव हम तभी कर पते है जब स्क्रीन क्लिक करती है. प्रायः स्क्रीन के रिफ्रेश होने का अनुभव हम तब कर पाते है जब रिफ्रेश रेट कम होता है. मॉनिटर के रिफ्रेश रेट को हर्ट्ज में नापा जाता है.
डॉट पिच
डॉट पिच एक प्रकार की मापन तकनीक है जो यह दर्शाती है की दो पिक्सेल के मध्य वेर्तिकल डिफरेंस कितना है. डॉट पिच का मापन मिलीमीटर में किया जाता है. यह एक ऐसा गुण या विशेषता है जो डिस्प्ले मॉनिटर की गुणवत्ता को स्पष्ट करता है. एक कलर मॉनिटर जो पर्सनल कंप्यूटर में प्रयोग किया जाता है, उसकी हॉट पिच की रेंज 0.15 मिलीमीटर से 0.30 मिलीमीटर तक होती है. डॉट पिच को फास्फर पिच भी कहते है.
इंटरलेंसिंग या नॉन इंटरलेंसिंग
इंटरलेंसिंग एक ऐसी डिस्प्ले तकनीक है जो की एक मॉनिटर को इस योग्य बनती है की वह डिस्प्ले होने वाले रेजोलुशन की गुणवत्ता में और वृद्धि कर सकें. इंटरलेंसिंग मॉनिटर में इलेक्ट्रान गन केवल आधी लाइन खिचती थी क्योंकि इंटरलेंसिंग मॉनिटर एक समय मे केवल आधी लाइन को ही रिफ्रेश करता है. यह मॉनिटर प्रत्येक रिफ्रेश साइकिल में दो से अधिक लाइन को प्रदर्शित कर सकता है.
दूसरी तरफ नॉन इंटरलेंसिंग मॉनिटर वाही रेजोलुशन प्रदान करती है जो की इंटरलेंसिंग प्रदान करता है लेकिन यह कम खर्चीला होता है. इंटरलेंसिंग मॉनिटर की देवल यह कमी होती है की इसका प्रतिक्रिया समय धीमा होता है. वे प्रोग्राम्स जो तेज रिफ्रेश दर की मांग करते है, जैसे एनीमेशन तथा विडियो कम फ्लिकरिंग करते है. इस दोनों प्रकार के मोनीटरों में देखा जावे तो दोनों ही एक सामान रेजोलुशन प्रदान करते है परन्तु नॉन इंटरलेंसिंग मॉनिटर ज्यादा अच्छा होता है.
बिट मैपिंग
प्रारंभ में डिस्प्ले डिवाइस केवल करैक्टर एड्रेसेबल होती थी जो केवल टेक्स्ट को ही डिस्प्ले करती थी. स्क्रीन पर भेजा जाने वाला प्रत्येक करैक्टर सामान आकार और एक निश्चित संख्या के पिक्सेल के ब्लाक समूह का होता था. ग्राफ़िक्स डिस्प्ले डिवाइस की मांग बढ़ने पर मॉनिटर निर्माताओं ने बहुपयोगी डिस्प्ले devices विकसित की जिनमे टेक्स्ट और ग्राफ़िक्स दोनों डिस्प्ले हो सकें.
ग्राफिकल आउटपुट डिस्प्ले करने के लिए जो तकनीक काम में लाई गयी, वह बिट मैपिंग कहलाती है. इस तकनीक में बिट मैप ग्राफ़िक्स का प्रत्येक पिक्सेल ऑपरेटर द्वारा स्क्रीन पर नियंत्रित होता है. इससे ऑपरेटर कोई भी ग्राफ़िक्स इमेज स्क्रीन पर बना सकता है.
इन्हें भी देखें – Types of Computer Systems
प्रिंटर्स (Printers)
डिस्प्ले डिवाइसेस में आउटपुट डिवाइस के रूप में 2 कमियां है –
1. एक बार में केवल सीमित डाटा ही दिखाई देता है.
2. स्क्रीन पर आउटपुट को सॉफ्ट कॉपी ट्रांसफर नहीं की जा सकती है तथा इसे कागज पर प्रिंट नहीं किया जा सकता.
एक आउटपुट डिवाइस के रूप में प्रिंटर उपर्युक्त दोनों कमियों को दूर करता है और आउटपुट को पेपर पर प्रिंट करता है. प्रिंटेड फॉर्म में पेपर पर आउटपुट हार्ड कॉपी कहलाता है. इसमें कंप्यूटर से प्राप्त डिजिटल सिगनल (0 और 1 बीट) प्राकृतिक भाषा (इंग्लिश, हिंदी आदि) में परिवर्तित होकर कागज पर हार्ड कॉपी के रूप में छपते हैं ताकि यूज़र इन्हें समझ सके.
वैरायटी के आधार पर प्रिंटर्स को वर्गीकृत किया जा सकता है किंतु प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी के आधार पर इन्हें मुख्यतः दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है.
- इंपैक्ट प्रिंटर
- नॉन इंपैक्ट प्रिंटर
वर्किंग स्पीड के आधार पर इन्हें इस तरह वर्गीकृत किया जा सकता है –
- लो स्पीड प्रिंटर्स जो एक बार में एक ही करैक्टर को प्रिंट करता है.
- हाई स्पीड प्रिंटर्स जो आउटपुट को सिंगल लाइन की तरह प्रिंट करता है या एक बार में पूरे पेज को.
प्रिंटिंग विधि के प्रकार
प्रिंटिंग को विभिन्न विधियों के आधार पर प्रिंटर्स को इम्पैक्ट और नॉन इम्पैक्ट में डीवाईड किया जा सकता है.
इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Impact Printing)
प्रिंटिंग की यह विधि टाइपराइटर की विधि के समान होती है जिसमें धातु का एक हैमर या प्रिंट हेड कागज व रिबन पर टकराता है. इंपैक्ट प्रिंटिंग में अक्षर या करैक्टर, ठोस मुद्रा अक्षरों (सॉलिड फोंट्स) या डॉट मैट्रिक्स विधि से कागज पर प्रिंट होते हैं.
- ठोस मुद्रा अक्षर (सॉलिड फोंट्स) – इस विधि में टाइपराइटर की तरह अक्षरों के लिए धातु के ठोस टाइपसेट होते है जिन पर अक्षर उभरे रहते है.
- डॉट मैट्रिक्स विधि – डॉट मैट्रिक्स विधि में पिनों की उर्ध्वाकार पंक्ति (वर्टिकल में) का एक प्रिंट हेड होता है. इम्पैक्ट डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर प्रायः ठोस मुद्रा अक्षर प्रिंटरों की अपेक्षाकृत उच्च गति के होते है. 100 से 200 करैक्टर प्रति सेकंड की गति सामान्य रूप से होती है.
नॉन इम्पैक्ट प्रिंटिंग (Non Impact Printing)
इस तरह की प्रिंटिंग में प्रिंट हेड और कागज के मध्य संपर्क नहीं होता है. नॉन इम्पैक्ट प्रिंटिंग की अनेक विधियाँ जैसे- एलेक्ट्रोथेर्मल, इंक जेट, लेज़र और थर्मल ट्रान्सफर आदि है.
- इलेक्ट्रोथर्मल प्रिंटिंग (Electro Thermal Printing) – इसमें एक विशेष कागज पर करैक्टर को गरम रोड वाले प्रिंट हेड से चलाया जाता है. ये प्रिंटर हार्ड होते है और इनके लिए विशेष कागज की आवश्यकता होती है.
- थर्मल ट्रान्सफर प्रिंटर (Thermal Transfer Printer) – यह एक नयी तकनीक का प्रिंटर है जिसमे कागज पर वैक्स आधारित रिबन से स्याही का तापीय स्थानांतरण होता है.
इन्हें भी देखें – Computer Hardware and Software Block Diagram of a Computer
प्रिंटर के मुख्य प्रकार
प्रिंटर्स को दो प्रमुख कैटेगरी इंपैक्ट प्रिंटर और नॉन इम्पैक्ट प्रिंटर में विभाजित किया जा सकता है. इंपैक्ट प्रिंटर टेक्स्ट और इमेज तब बनाते हैं जब छोटे चारों वाले पीन जो प्रिंटर से लगे होते हैं, रिबन के साथ भौतिक रूप से संपर्क बनाते हुए कागज पर दबाव बनाते हैं. नॉन इंपैक्ट प्रिंटर बिना कागज पर दबाव बनाएं ग्राफिक्स और टेक्स्ट को कागज पर दर्शाते हैं. प्रिंटर को उनकी तकनीक और प्रिंट करने के तरीके के आधार पर भी वर्गीकृत किया जा सकता है. इंकजेट प्रिंटर, लेजर प्रिंटर, डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर और थर्मल प्रिंटर उसे सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. इनमें सिर्फ डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर इंपैक्ट है बाकी सब नॉन इंपैक्ट प्रिंटर है.
कुछ प्रिंटर जैसे फोटो प्रिंटर, पोर्टेबल प्रिंटर, मल्टीफंक्शन प्रिंटर और ऑल इन वन के नाम से उनके द्वारा किए जाने वाले विशेष कार्यों के आधार पर दिए जाते हैं. फोटो प्रिंटर और पोर्टेबल प्रिंटर साधारणतः इंकजेट प्रिंटर तरीके का इस्तेमाल करते हैं जबकि मल्टीफंक्शन प्रिंटर इंकजेट या लेजर दोनों तरीके का इस्तेमाल करते हैं.
इंकजेट और लेजर प्रिंटर घर और व्यापार में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाते हैं. डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर का इस्तेमाल 60 और 70 के दशक में ज्यादा किया जाता था मगर उसकी जगह घरों में इंकजेट प्रिंटर का इस्तेमाल किया जाने लगा है. अभी भी डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर का इस्तेमाल अनेक हिस्से वाले फार्मों तथा कार्बन कॉपी के लिए कुछ तरह के व्यापार में किया जाता है. थर्मल प्रिंटर का इस्तेमाल एटीएम, कैश रजिस्टर तथा पॉइंट टू सेल्स टर्मिनल तक सीमित है. कुछ लेजर प्रिंटर तथा पोर्टेबल प्रिंटर में भी थर्मल प्रिंटिंग का इस्तेमाल होता है.
डिजिटल कैमरा, लैपटॉप और घरेलू ऑफिस की लोकप्रियता के कारण फोटो, पोर्टेबल और मल्टीफंक्शन प्रिंटर की मांग कुछ वर्षों में अप्रत्याशित ढंग से बड़ी है.

इंकजेट प्रिंटर
इंकजेट प्रिंटर एंड नॉन इंपैक्ट प्रिंटर है जिसमें नोजल से कागज पर स्याही की बूंदों की बौछार कर टेक्स्ट तथा आकृति 250 कैरेक्टर प्रति सेकेंड की दर से विभिन्न रंगों के इंक पेपर में सोख लिए जाते हैं और तुरंत सुख भी जाते हैं. इंकजेट प्रिंटर्स की प्रिंटिंग खर्चीली हुआ करती है.
इस प्रिंटर की मुख्य समस्या प्रिंट हेड में इंक क्लागिंग की होती है. इंकजेट प्रिंटर आउटपुट की क्वालिटी 300dpi प्रति सेकंड होती है. यह प्रिंटर घरेलू उपयोग के लिए सबसे लोकप्रिय प्रिंटर होते हैं.
इन दिनों अधिकतर इंकजेट प्रिंटर में थर्मल इंकजेट या पाईजोइलेक्ट्रिक इंकजेट टेक्नोलॉजी का प्रयोग होता है. थर्मल इंकजेट प्रिंटर गर्म करने वाले तत्व का प्रयोग करता है. यह गर्म करने वाला तत्व लिक्विड इंक को गर्म कर वेपर बबल बनाता है, जो नोजल के माध्यम से कागज पर स्याही के बूंदों को फेकता है. अधिकतर इंकजेट निर्माता इस टेक्नोलॉजी का प्रयोग इंकजेट प्रिंटर्स में करते हैं.
पाईजोइलेक्ट्रिक इंकजेट तकनीक का प्रयोग सभी IPSON के प्रिंटर तथा औद्योगिक इंकजेट प्रिंटर्स में होता है. इस प्रकार के प्रिंटर्स में गर्म करने वाले तत्व के बदले प्रत्येक नोजल में पाईजोइलेक्ट्रिक क्रिस्टल का प्रयोग होता है. पाईजोइलेक्ट्रिक क्रिस्टल प्राप्त विद्युत धारा के आधार पर स्वरूप तथा आकार बदलते हैं तथा नोजल से कागज पर स्याही के छोटी-छोटी बूंदों को छोड़ते हैं. थर्मल इंकजेट प्रिंटर्स में लिक्विड स्याही का प्रयोग होता है जो पानी giaycol तथा रंगों का मिश्रण होता है. यह स्याही सस्ती होती है लेकिन इसका प्रयोग केवल कागज या विशेष रूप से लेपित पदार्थों पर ही किया जा सकता है. पाईजोइलेक्ट्रिक इंकजेट प्रिंटर में कई प्रकार की स्याही जैसे सॉल्वेंट स्याही, डाई सबलिमेशन स्याही इत्यादि का प्रयोग होता है तथा यह विभिन्न अलेपित (अनकोटेड) पदार्थों पर टेक्स्ट और ग्राफिक छाप सकता है. इंकजेट हेड डिजाइन दो मुख्य समूह जैसे फिक्स्ड हेड तथा डिस्पोजेबल हेड में बटा होता है. फिक्स्ड हेड प्रिंटर में ही बना होता है तथा प्रिंटर जब तक चलता है या चलता है. सस्ते डिस्पोजेबल हेड की अपेक्षाकृत अधिक स्पष्ट आउटपुट पैदा करता है. फिक्स्ड हेड प्रिंटर की स्याही के कॉटेज सस्ते होते हैं क्योंकि इसका प्रिंट हेड बदलना नहीं होता है किंतु हेड खराब हो जाने की स्थिति में पूरा प्रिंटर ही बदलना पड़ता है. डिस्पोजेबल हेड में इंक कार्टेज की बदलने की व्यवस्था रहती है. इसे कॉटेज में स्याही समाप्त होने की स्थिति में बदल दिया जाता है. इसके कारण स्याही कॉटेज की लागत बढ़ती है तथा इन कॉटेज में उच्च क्वालिटी के प्रिंटहेड का उपयोग सीमित होता है. किंतु इसमें प्रिंटहेड का नष्ट होना समस्यादायक नहीं होता, क्योंकि इसे नये स्याही कॉटेज के साथ बदला जा सकता है. कुछ प्रिंटर निर्माता डिस्पोजेबल स्याही तथा डिस्पोजेबल प्रिंटहेड का अलग-अलग प्रयोग करते हैं. प्रिंट हेड सस्ते डिस्पोजेबल हेड से अधिक चलते हैं तथा बड़ी मात्रा में प्रिंटिंग के लिए उपयुक्त होते हैं.

इंकजेट प्रिंटर की खूबियाँ
- कम लागत
- उच्च स्तर का परिणाम. स्पष्ट छपाई करने में सक्षम
- चमकीले रंगों में छपाई करने में सक्षम
- चित्रों की छपाई के लिए उत्तम
- उपयोग में आसान
- डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की अपेक्षाकृत अधिक शांत
- वार्म अप टाइम (गर्म होने में लगने वाला समय) की आवश्यकता नहीं
इंकजेट प्रिंटर की कमियां
- प्रिंट हेड कम टिकाऊ. प्रिंट हेड क्लागिंग तथा इसके नष्ट होने की संभावना अधिक
- स्याही कार्ट्रिज को बदलना महंगा
- बड़ी संख्या में प्रिंटिंग के लिए अच्छा नहीं
- लेज़र प्रिंटर की तरह इसकी प्रिंटिंग गति तेज नहीं
- स्याही का बहाव तथा पेपर के किनारों पर स्याही का लग जाना
- इंकजेट प्रिंटर के आउटपुट पर हाइलाइटर पेन का उपयोग मुश्किल
आजकल इंकजेट प्रिंटर मार्किट में बहुत सस्ते दामों पर उपलब्ध है. इंकजेट प्रिंटर की कीमत घटने के बावजूद उसके कार्ट्रिज के दाम बाद रहे है. किन्तु इंकजेट प्रिंटर के उपभोक्ता के पास कार्ट्रिज में दुबारा स्याही भरने का विकल्प मौजूद होता है जो प्रिंटिंग लागत को लगभग 5-7 गुना कम कर देता है.
What are Output Devices of Computer
इन्हें भी देखें – Characteristics of Computer and Capability
लेज़र प्रिंटर (Laser Printer)
लेजर प्रिंटर नॉन इंपैक्ट प्रिंटर है. लेजर प्रिंटर का उपयोग कंप्यूटर सिस्टम में 1970 के दशक से हो रहा है. पहले यह मेनफ्रेम कंप्यूटर में प्रयोग किए जाते थे. 1980 के दशक में लेजर प्रिंटर का मूल्य लगभग $3000 था और यह माइक्रो कंप्यूटर के लिए उपलब्ध था. यह प्रिंटर आजकल अधिक लोकप्रिय है क्योंकि यह अपेक्षाकृत अधिक तेज और उच्च क्वालिटी में टेक्स्ट और ग्राफिक्स फीडर पेपर पर छापने में सक्षम है. जब speed और क्वालिटी जो कि मटेरियल के तुल्य होते हैं की जरूरत पड़ती है तब लेजर प्रिंटर ही समाधान है. लेजर प्रिंटर कैरेक्टर्स और अन्य इमेजेस को कागज पर किसी दर्पण पर लेजर बीम को निर्देशित करता है जो बीम को ड्रम पर बाउंस करता है. लेजर ड्रम पर एक नेगेटिव चार्ज छोड़ता है जिससे पॉजिटिवली चार्ज ब्लैक टोन पाउडर सेट जाता है. ज्यों ही ड्रम से कागज रोल करता है तो टोनर कागज पर स्थानांतरित हो जाता है. गर्म रोलर तब टोनर को पेपर पर बांड करता है.
लेजर प्रिंटर्स बफर्स इस्तेमाल करता है जो समूचे पेज को एक ही बार में स्टोर कर सकता है. जब संपूर्ण पेज को लोड किया जाता है तो उसे प्रिंट किया जाता है. बहुत से लेजर प्रिंटर जो माइक्रो कंप्यूटर के साथ यूज किए जाने के वास्ते डिजाइन किए जाते हैं प्रति मिनट 8 पेज प्रिंट कर सकते हैं. कमर्शियल यूज़ के लिए डिजाइन किए गए लेजर प्रिंटर ज्यादा स्पीड वाले होते हैं और यह प्रति मिनट लगभग 20000 लाइन या 435 पेजेज जिनमें से प्रत्येक पेज में 50 लाइन होते हैं प्रिंट कर सकता है. अधिकतर लेजर प्रिंटर में एक अतिरिक्त माइक्रोप्रोसेसर, रैम और रोम होते हैं. रोम में फोंट्स और पृष्ठ को व्यवस्थित करने के प्रोग्राम स्टोर रहते हैं. लेजर प्रिंटर सर्वश्रेष्ठ आउटपुट छपता है. प्रायः 300 dpi से लेकर 600 dpi तक या उससे भी अधिक रेजोलुशन की छपाई करता है. रंगीन लेजर उच्च क्वालिटी का रंगीन आउटपुट देता है. इसमें विशेष टोनर होता है जिसमें विविध रंगों के कण (पाउडर) उपलब्ध होते हैं.

लेज़र प्रिंटर की विशेषताएं
- उच्च रेजोलुशन 600 से 1200 डॉट्स प्रति इंच तक
- उच्च प्रिंटिंग स्पीड
- दाग-धब्बा रहित छपाई
- प्रति पृष्ट छपाई की इंकजेट प्रिंटर के अपेक्षाकृत कम कीमत
- प्रिंट आउट जल संवेदी नहीं
- बड़ी मात्रा में छपाई के लिए उपयुक्त
लेज़र प्रिंटर की कमियां
- इंकजेट प्रिंटर से अधिक महंगा
- आमतौर पर विभिन्न प्रकार के रंगों में तथा उच्च क्वालिटी इमेजेज, फोटो छपने में कम सक्षम
- टोनर तथा ड्रम का बदलना महंगा
- इंकजेट प्रिंटर्स से बड़ा तथा भारी
- वार्म अप टाइम आवश्यक
थर्मल प्रिंटर्स Thermal Printers
थर्मल प्रिंटर दो तरह की तकनीक डायरेक्ट थर्मल और थर्मल ट्रांसफर प्रिंटिंग का इस्तेमाल करते हैं. पारंपरिक थर्मल प्रिंटर डायरेक्ट थर्मल विधि का इस्तेमाल करते हैं. इस विधि में बिजली के द्वारा गर्म किए गए पिन को ताप संवेदी (हिट सेंसेटिव) कागज या थर्मल कागज पर लगाया जाता है. गर्म होने पर थर्मल कागज की कोटिंग काली हो जाती है जिससे कैरेक्टर व आकृतियां बनती है. डायरेक्ट थर्मल प्रिंटर में किसी इंक, टोनर या रिबन का इस्तेमाल नहीं होता है. यह प्रिंटर टिकाऊ होते हैं. इन्हें इस्तेमाल करना आसान होता है और प्रिंटिंग करने का खर्च भी दूसरे प्रिंटर के मुकाबले कम होता है, किंतु थर्मल पेपर गर्मी, रोशनी तथा पानी से ज्यादा प्रभावित होता है. इसलिए टेक्स्ट और इमेज समय के साथ मिट जाता है या धुंधला हो जाता है.
थर्मल ट्रांसफर प्रिंटिंग में थर्मल प्रिंटहेड एक ताप संवेदी (हिट सेंसेटिव) को ताप देकर गर्म करता है, जिससे कागज पर वह स्याही पिघलता है तथा टेक्स्ट एवं आकृति तैयार होती है. इसके प्रिंटआउट अत्यंत टिकाऊ होते हैं तथा लंबे समय तक के लिए इन्हें स्टोर करके रखा जा सकता है.
कॅश रजिस्टर, एटीएम तथा पॉइंट ऑफ सेल टर्मिनल में थर्मल प्रिंटर का अक्सर इस्तेमाल किया जाता है. 21वीं सदी के पहले कुछ पुरानी फैक्स मशीन में भी डायरेक्ट थर्मल प्रिंटिंग का इस्तेमाल किया जाता था. इन प्रिंटर की जगह अब लेजर और इंकजेट प्रिंटर ने ले ली है. थर्मल प्रिंटिंग की तकनीक बारकोड प्रिंटिंग के लिए अभी भी सबसे अच्छी मानी जाती है क्योंकि यह बार की ठीक-ठीक चौड़ाई के साथ सटीक तथा अच्छी क्वालिटी की इमेज बनाता है. कुछ पोर्टेबल प्रिंटर तथा ज्यादातर टेबल प्रिंटर अभी भी थर्मल प्रिंटिंग विधि का इस्तेमाल करते हैं.
थर्मल प्रिंटर इंकजेट प्रिंटर की तरह नहीं होता है. थर्मल इंकजेट प्रिंटर में इंकजेट प्रिंटर तकनीक का प्रयोग होता है यह लिक्विड स्याही को गर्म कर वाष्पीय बुलबुला बनाते हैं, जिससे नोजल से कागज पर स्याही की बूंदों का छिड़काव होता है.

फोटो प्रिंटर्स Photo Printers
फोटो प्रिंटर रंगीन प्रिंटर होते हैं लोग फोटो लैब की क्वालिटी फोटो पेपर पर छपते हैं. इसका इस्तेमाल डाक्यूमेंट्स की प्रिंटिंग के लिए भी किया जा सकता है. इन प्रिंटर्स के पास काफी बड़ी संख्या में नोजल होते हैं जो काफी अच्छी क्वालिटी की इमेज के लिए बहुत अच्छी स्याही की बूंद छपता है.
कुछ फोटो प्रिंटर्स में मीडिया कार्ड रीडर भी होते हैं यह 4X6 फोटो को सीधे डिजिटल कैमरे के मीडिया कार्ड से बिना किसी कंप्यूटर के प्रिंट कर सकते हैं.
ज्यादातर इंकजेट प्रिंटर और उच्च क्षमता वाले लेजर प्रिंटर उच्च क्वालिटी की तस्वीरें प्रिंट करने में सक्षम होते हैं. कभी-कभी इन प्रिंटरों को फोटो प्रिंटर के रूप में बाजार में लाया जाता है. समर्पित फोटो प्रिंटर फोटो को अच्छी तरह से और सस्ता प्रिंट करने के उद्देश्य से बनाया जाता है. बड़ी संख्या में नोजल तथा बहुत अच्छी बूंदों के अतिरिक्त इन प्रिंटर्स में अतिरिक्त फोटो स्थान, हल्का मैजेंटा तथा हल्के काले रंगों में रंगीन कार्ट्रिज होता है. यह अतिरिक्त रंगीन कार्ट्रिज की सहायता से अधिक रोचक तथा वास्तविक दिखने जैसा फोटो छपते हैं. इसका आउटपुट साधारण इंकजेट तथा लेजर प्रिंटर से बेहतर होता है.

मल्टीफंक्शनल / आल इन वन प्रिंटर्स Multifunctional / All in One Printers
मल्टीफंक्शनल प्रिंटर को ऑल इन वन प्रिंटर या मल्टीफंक्शनल डिवाइस भी कहा जाता है. यह ऐसी मशीन होती है जिसके द्वारा कई मशीन तथा प्रिंटर, स्कैनर, कॉपियर तथा फैक्स के कार्य किए जा सकते हैं.
मल्टी फंक्शन प्रिंटर घरेलू कार्यालयों में बहुत लोकप्रिय होता है. इसमें इंकजेट या लेजर प्रिंट विधि प्रयोग होती है. कुछ multi-function प्रिंटर्स में मीडिया कार्ड रीडर का प्रयोग होता है. यह इस्तेमाल करने में कम खर्चीला तथा कम स्थान खेलने वाले होते हैं. किंतु जब इसका कोई भी अवयव टूटता या नष्ट होता है तो पूरी मशीन को बदलना पड़ता है.

मल्टीफंक्शन प्रिंटर की खूबियां
- कम कीमत – मल्टीफंक्शनल प्रिंटर को खरीदना सभी उत्पादों (फैक्स मशीन, स्कैनर, प्रिंटर, कॉपीयर) को अलग-अलग खरीदने से ज्यादा सस्ता पड़ता है.
- यह कम जगह लेता है.
मल्टीफंक्शन प्रिंटर की कमियां
- अगर कोई एक कंपोनेंट टूट जाता है तो पूरी मशीन बदलनी पड़ती है.
- किसी कंपोनेंट की खराबी से पूरी मशीन प्रभावित होती है.
- प्रिंट की क्वालिटी अकेले प्रिंटर से कम होती है.
पोर्टेबल प्रिंटर Portable Printer
पोर्टेबल प्रिंटर छोटे कम वजन वाले इंकजेट याद थर्मल प्रिंटर होते हैं जो लैपटॉप कंप्यूटर द्वारा यात्रा के दौरान प्रिंट निकालने को अनुमति देते हैं. यह एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में आसान इस्तेमाल करने में सहज होते हैं. मगर कॉम्पैक्ट डिजाईन की वजह से सामान्य इंकजेट प्रिंटर का के मुकाबले महंगे होते हैं. इनकी प्रिंटिंग की गति सामान्य प्रिंटर से कम होती है. कुछ प्रिंटर डिजिटल कैमरे से तत्काल फोटो निकालने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं इसलिए इन्हें पोर्टेबल फोटो प्रिंटर कहा जाता है.

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर (Dot Matrix Printer)
डॉट मैट्रिक्स एक इम्पैक्ट प्रिंटर है. इस प्रिंटर के प्रिंट हेड में अनेक पिनों का एक मैट्रिक्स होता है और प्रत्येक पिन के रिबन पर स्पर्श (स्ट्राइक) से कागज पर एक डॉट छपती है.
अंक डॉट मिलकर एक करैक्टर बनाते है. प्रिंट हेड में 7, 9, 14, 18 या 24 पिनों का उर्ध्वाकार (वेर्तिकल) समूह होता है. एक बार में कॉलम की पिनें प्रिंट हेड से बहार निकलकर डॉट्स छपती है, जिससे एक करैक्टर अनेक चरणों में बनता है और लाइन की दिशा में प्रिंट हेड आगे बदता जाता है.
प्रिंट हेड की पिनें कंप्यूटर के सी.पी.यु. द्वारा भेजे गए संकेतों को प्राप्त करती है और कागज पर उपयुक्त स्थान पर डॉट बनाती चली जाती है.

डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की प्रिंटिंग गति 30 से 600 करैक्टर प्रति सेकंड होती है. कई डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर लाइन को दायी और से बायीं और तथा बायीं से दायीं और, दोनों दिशाओं में प्रिंट करने की क्षमता रखते है. जब प्रिंट हेड बाएं से दायें गति करते हुए एक लाइन प्रिंट कर लेता है तो अगली लाइन दायें से बाएं गति करती हए प्रिंट करता है.
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर में पूर्व निर्मित फॉण्ट नहीं होते है. इसलिए ये विभिन्न आकार, प्रकार और भाषा के करैक्टर, ग्राफ़िक्स आदि छाप सकता है. यह प्रिंट हेड की मदद से करैक्टर बनाता है, जो की कॉड (0 और 1) के रूप में मेमोरी से प्राप्त करता है. प्रिंट हेड में इलेक्ट्रॉनिक सर्किट मौजूद रहता है जो करैक्टर को डिकोड करता है. डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर के आउटपुट की स्पष्टता सॉलिड फॉण्ट devices की तुलना में कम होती है.
यह प्रिंटर आउटपुट को निम्नलिखित दो प्रकार की गुणवत्ताओं में छाप सकता है-
(I) ड्राफ्ट क्वालिटी प्रिंटिंग – इसमें निम्न कोटि की सामान्य छपाई होती है.
(ii) नियर-लैटर क्वालिटी प्रिंटिंग – इस प्रिंटिंग में प्रत्येक करैक्टर दो बार में ओवर स्ट्राइक से छपता है. इस अवस्था में छपाई की गति धीमी होती है.
What are Output Devices of Computer
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की खूबियाँ
- बहुभाग (मल्टीफक्टेद) फॉर्म या कार्बन कापियों पर छपने के लिए उपयुक्त.
- प्रति पृष्ट प्रिंटिंग लागत बिलकुल कम.
- लगातार फॉर्म वाले कागज पर छपाई तथा लॉगिंग के लिए उपयोगी.
- विश्वसनीय तथा टिकाऊ
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर की कमियां
- शोरयुक्त (यह प्रिंटिंग के दौरान बहुत आवाज करता है.)
- सीमित प्रिंटिंग क्वालिटी
- कम प्रिंटिंग गति
- सीमित रंगों में ही प्रिंटिंग.
डेजी व्हील प्रिंटर
डेजी व्हील सॉलिड फॉण्ट वाला इम्पैक्ट करैक्टर प्रिंटर है. यह टाइपराइटर के जैसा अच्छी क्वालिटी का प्रिंट देता है. इसको डेजी व्हील नाम इसलिए दियागया है क्योंकि इसके प्रिंट हेड की आकृति एक फूल (फ्लावर) डेजी से मिलती है. इस मैकेनिज्म के प्रत्येक पेटल के अंत पर पूरी तरह से फॉर्म किया हुवा करैक्टर होता है जो सॉलिड लाइन प्रिंट करता है. एक छोटा हैमेर स्पोक, रिबन और कागज पर टकराता है जिससे अक्षर कागज पर छप जाता है. डेजी व्हील को टाइप फेसेस (फोंट्स) के साइज़ और स्टाइल्स को बदलने के लिए रिप्लेस किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, डेजी व्हील करैक्टर से सिंबल को शिफ्ट कर सकता है या टेक्स्ट को फॉरेन लैंग्वेज में प्रिंट कर सकता है. डेजी व्हील यूजअली प्रति मिनट 90 करैक्टर ऑपरेट कर सकता है.

लाइन प्रिंटर
व्यवसाय में कुछ निश्चित ऑपरेशनस के लिए जहाँ बड़े पैमाने में प्रिंटिंग की आवश्यकता होती है, करैक्टर एट ए टाइम प्रिंटर्स अत्यंत स्लो होते है. लाइन प्रिंटर्स या लाइन एट ए टाइम प्रिंटर्स स्पेशल मैकेनिज्म इस्तेमाल करते है. इस मैकेनिज्म से तुरंत समूची लाइन छाप सकती है. ऐसे प्रिंटर्स टिपिकली 300 से 3000 लाइन प्रति मिनट की गति से प्रिंट कर सकते है.

विभिन्न प्रकार के लाइन प्रिंटर्स निम्नलिखित है-
- ड्रम प्रिंटर
- चैन प्रिंटर
- बैण्ड प्रिंटर
ड्रम प्रिंटर
ड्रम प्रिंटर में तेज घूमने वाला एक ड्रम (बेलनाकार आकृति का) होता है जिसकी सतह पर पूरे अक्षर (करैक्टर) उभरे रहते है. एक बैण्ड पर सभी अक्षरों का एक समूह (सेट) होता है, ऐसे अनेक बैण्ड सम्पूर्ण ड्रम पर होते है. जिससे कागज पर लाइन की प्रय्तेक स्थिति में करैक्टर छपे जा सकते है. इंडीयूजअली प्रिंट पोजीशन तब तक घूमता है जब तक प्रॉपर प्लेस में वांछित अक्षर रहता है. एक तेज गति का हैमेर प्रत्येक बैण्ड के उचित करैक्टर पर कागज के विरूद्ध टकराता है और इस तरह एक घूर्णन पूरा होने पर एक पूरी लाइन छप जाती है.

चैन प्रिंटर
चैन प्रिंटर में तेज घूमने वाली एक चैन होती है जिसे प्रिंट चैन कहते है. ड्रम प्रिंटर की तरह चैन में करैक्टर होते है. प्रत्येक कड़ी (लिंक) में एक करैक्टर का फॉण्ट होता है. प्रिंटर के अंदर सर्किट सम्बंधित प्रिंट लोकेशन पर उपस्थित सही करैक्टर यानि अक्षर को डिटेक्ट कर लेता है. प्रत्येक प्रिंट पोजीशन पर हैमेर्स लेट रहते है. प्रिंटर, कंप्यूटर से लाइन के सभी छपने वाले करैक्टर प्राप्त कर लेता है. हैमेर कागज और उचित करैक्टर से टकराता है और एक बार में एक लाइन छप जाती है. यह चैन प्रिंटर तब तक रोटेट करता रहता है जब तक की सम्पूर्ण वांछित प्रिंट पोजीशन लाइन पर भर नहीं लिए जाते है. तब पेज आगे खिसक जाता है ताकि नेक्स्ट लाइन प्रिंट हो सकें.

बैण्ड प्रिंटर
बैण्ड प्रिंटर चैन प्रिंटर के समान कार्य करता है. इसमें चैन के स्थान पर स्टील का एक प्रिंट हेड होता है. हमेर के चल से छपने वाला उचित करैक्टर कागज पर छप जाता है. चरक्टेर्स नियत स्थान पर रोटेट करता रहता है और हैमेर से स्ट्रक होते रहते है. फॉण्ट स्टाइल्स को बंद या चैन के द्वारा आसानी से रिप्लेस किया जा सकता है.

प्लॉटर
प्लॉटर एक आउटपुट device है जो चार्ट, चित्र, नक़्शे, त्रि-विमीय रेखाचित्र और अन्य प्रकार की हार्डकॉपी प्रस्तुत करने का कार्य करता है. कंप्यूटर ऐडेड डिजाईन तथा ड्राफ्टिंग ने एक ऐसे device के लिए डिमांड क्रिएट की है जो उच्च क्वालिटी के ग्राफ़िक्स मल्टिपल क्लास में produce कर सकें. एक प्लॉटर ऐसा ड्राइंग रेप्रोदूस कर सकता है जिसके लिए यह पेन use करता है जो किसी मूवएबल आर्म्स से सम्बद रहता है और जिसे स्थिर रखे हुए कागज की सतह पर एक और से दुसरे ओर तक निर्देशित किया जाता है. कई तरह के plotters में कागज के साथ मूवबल पेन और आर्म्स कंबाइन रहते है जो ड्राइंग करने के आगे और पीछे रोले करते है. इस दोनों तरफ गति करने की क्रिया के फलस्वरूप किसी भी कॉन्फ़िगरेशन की ड्राइंग संभव होती है.

प्लॉटर एप्लीकेशन केवल कंप्यूटर ऐडेड डिजाइन तक ही सीमित नहीं है. उच्च गुणवत्ता वाले बार ग्राफ और पाई चार्ट जो प्लॉटर द्वारा क्रिएट जाते जाते हैं दिलचस्पी में वृद्धि कर सकते हैं और बिजनेस प्रेजेंटेशन के अर्थ को बढ़ा सकते हैं. कोई भी व्यक्ति प्लास्टर की मदद से चार्ट, ड्राइंग, मैप और त्रिआयामी ग्राफिक प्रिंट कर सकता है. सामान्यतः प्लॉटर दो प्रकार के
- ड्रम प्लॉटर
- फ्लैट बेड प्लॉटर
ड्रम प्रिंटर
ड्रम प्लॉटर एक ऐसी आउटपुट डिवाइस जिसमें पेन जैसा स्ट्रक्चर प्रयुक्त होता है, जो गतिशील होकर कागज की सतह पर आकृति तैयार करता है. कागज एक ड्रम पर चढ़ा रहता है जो आगे खिसकता जाता है. पेन कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित होता है. यह प्लॉटर एक यांत्रिक कलाकार (मैकेनिकल आर्टिस्ट) की तरह कार्य करता नजर आता है. जैसे ही रंगों का चुनाव होता है यह मनमोहक लगने लगता है. कई पेन प्लॉटर में फाइबर टिप्ड होते हैं. यदि उच्च क्वालिटी की आवश्यकता हो तो तकनीकी ड्राफ्टिंग प्रयोग किया जाता है. यह पेन 1 इंच के हजारवें हिस्से के बराबर लाइन खींचने की क्षमता रखता है. कई रंगीन प्लॉटर में 4 या 4 से अधिक पेन होते हैं. प्लॉटर एक संपूर्ण चित्र (ड्राइंग) को कुछ इंच प्रति सेकंड की दर से प्लाट करता है.

फ्लैट बेड प्लॉटर
फ्लैट बेड प्लॉटर में कागज को स्थिर अवस्था में एक बेड या ट्रे में रखा जाता है. एक भुजा (आर्म्स) पर पेन लगा होता है जो मोटर से कागज पर ऊपर नीचे (Y अक्ष) दाएं और बाएं (X-Y अक्ष) गतिशील होता है. कंप्यूटर पेन को X-Y अक्ष की दिशानों में नियंत्रित करता है और कागज पर आकृति चित्रित करता है.

इलेक्ट्रोस्टेटिक तकनीक
इलेक्ट्रोस्टेटिक तकनीक प्लॉटर के कार्य करने की एक तकनीक है. इसमें पेन के स्थान पर एक टोनर बेड होता है. यह टोनर बेड फोटोकॉपी मशीन की ट्रे के समान कार्य करता है, लेकिन यहां प्रकाश के स्थान पर कागज आवेशित करने के लिए छोटे-छोटे तारों का एक जाल होता है. जब आवेशित कागज टोनर से गुजरता है तो टोनर कागज के आवेशित बिंदुओं पर चिपक जाता है, जिससे चित्र, तस्वीर या ग्राफिक्स उभर आता है.
फ्लैट बेड इलेक्ट्रोस्टेटिक प्लॉटर की गति तो तीव्र होती है, लेकिन इसके आउटपुट की स्पष्टता यानी क्वालिटी पेन प्लॉटर से कम होती है. ड्रम प्लॉटर और फ्लैट बेड प्लॉटर दोनों प्रकार के प्लॉटर्स में पेन तकनीक या इलेक्ट्रोस्टेटिक तकनीक का प्रयोग हो सकता है.
विशेष उद्देशीय आउटपुट Devices
- कंप्यूटर आउटपुट माइक्रोफिल्म
- फिल्म रिकॉर्डर
- वायस आउटपुट devices
कंप्यूटर आउटपुट माइक्रोफिल्म
यह कंप्यूटर आउटपुट को माइक्रोफिल्म मीडिया द्वारा प्रोड्यूस करने की तकनीक है. माइक्रोफिल्म मीडिया एक माइक्रोफिल्म रील या एक माइक्रोफिश्च कार्ड होता है. माइक्रोफिल्म तकनीक के प्रयोग से कागज की लागत और स्टोरेज स्पेस की बचत होती है. एक 4X6 इंच के आकार के माइक्रोफिल्म कार्ड में लगभग 270 छपे हुए पेजेज के बराबर डाटा स्टोर किया जा सकता है. COM तकनीक उन कार्यालयों में अधिक उपयोगी होती है जहां डाटा और सूचना की फाइलों में संशोधन नहीं होता है और फाइलों की संख्या बहुत अधिक होती है. माइक्रोफिल्म तैयार करने की तकनीक ऑफलाइन होती है. पहले कंप्यूटर आउटपुट को एक स्टोरेज मीडियम मैग्नेटिक टेप पर स्टोर करता है. इसके बाद काम यूनिट प्रत्येक पृष्ठ का प्रतिबिंब स्क्रीन पर दिखाती है और माइक्रोफिल्म के फोटोग्राफ तैयार करती है. काम यूनिट को कंप्यूटर में जोड़कर ऑनलाइन भी किया जा सकता है.
माइक्रोफिल्म के आउटपुट को पढ़ने के लिए मिनी कंप्यूटर में एक अलग डिवाइस होती है जो आउटपुट को अलग-अलग फ्रेम में दिखाती है.

फिल्म रिकॉर्डर
फिल्म रिकॉर्डर एक कैमरा के समान डिवाइस है. कंप्यूटर से उत्पन्न उच्च रेजोलुशन के चित्रों को सीधे 35mm की स्लाइड, फिल्म या ट्रांसपेरेंसी पर स्थानांतरित कर देता है. कुछ वर्षों पहले यह तकनीक बड़े कंप्यूटर में ही संभव थी लेकिन अब यह माइक्रोकंप्यूटर्स में भी उपलब्ध है.
विभिन्न कंपनियां अपने उत्पादों की जानकारी देने के लिए प्रेजेंटेशन तैयार करती है. इन प्रेजेंटेशन को बनाने के लिए फिल्म रिकॉर्डिंग तकनीक कर ही प्रयोग किया जाता है.

वायस आउटपुट Devices
जब कभी हम अपने मित्र के लिए कोई नंबर डायल करते हैं तब कभी-कभी किसी मशीन द्वारा जवाब के रूप में हम एक मैसेज रिसीव करते हैं. जिसे मित्र के एब्सेंट में इंटिमेट किया जाता है और उसके लिए मैसेज छोड़ने के लिए कहा जाता है. इस तरह के प्री रिकॉर्डेड मैसेज वॉइस आउटपुट डिवाइस के द्वारा प्ले किए जाते हैं. इन डिवाइस में कंप्यूटर किसी फाइल में डिफरेंट वर्ड को एक मैसेज के रूप में constitute करने के लिए स्टोर करता है. जिन्हें कंप्यूटर प्रोग्राम के निर्देशों के आधार पर संयोजित कर संदेश बनाता है और वौइस् आउटपुट डिवाइस इन संदेशों को उसेर्स तक स्पाकर के द्वारा आवश्यकतानुसार डिलीवर किया जाता है.

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