Input Devices of Computer कंप्यूटर में input उपकरणों के सहायता से ही निर्देश दिया जाता है. ये हमारे निर्देशों को कंप्यूटर के CPU तक पहुचाते है.

Input Devices of Computer input devices ऐसे device हैं जो हमारे निर्देशों या आदेशो को कंप्यूटर के मस्तिष्क (CPU) तक पहुंचाते हैं. कीबोर्ड, माउस, स्केनर इत्यादि प्रचलित इनपुट डिवाइस है. इनपुट डिवाइस के प्रकार को नीचे दिए गए रेखा चित्र में प्रस्तुत किया गया है:

Typing Input Devices of Computer
टाइपिंग इनपुट डिवाइस कंप्यूटर की वे इनपुट डिवाइस है जिनका प्रयोग डांटा को टाइप करके इनपुट करने के लिए उपयोग किया जाता है. कीबोर्ड तथा टर्मिनल इसी तरह की डिवाइस है यद्यपि टर्मिनल थोड़ा असामान्य है.
कीबोर्ड (Keyboard)
कीबोर्ड कंप्यूटर का एक पेरीफेरल है जो आंशिक रूप से टाइपराइटर के कीबोर्ड की भांति होता है. कीबोर्ड को टेक्स्ट तथा कैरेक्टर इनपुट के लिए डिजाइन किया जाता है और यह computer के ऑपरेशन को कंट्रोल भी करता है.
फिजिकली कंप्यूटर का कीबोर्ड आयताकार या लगभग आयताकार बटनो या कीज की एक व्यवस्था होती है. कीबोर्ड में समान्यतः कीज अंकित होती हैं अथवा छपी हुई होती है. अधिकतर स्थितियों में किसी कीज को दबाने पर कीबोर्ड एक लिखित चिन्ह भेजता है. किंतु कुछ संकेतों को बनाने के लिए कई किज को साथ-साथ या एक क्रम में दबाने या पकड़े रहने की आवश्यकता पड़ती है. अन्य किज कोई संकेत नहीं बनाती बल्कि कंप्यूटर अथवा कीबोर्ड के ऑपरेशन को प्रभावित करती है.
की बोर्ड की लगभग आधी कीज अक्षर, संख्या या चिन्ह बनती है. अन्य कीज को दबाने पर क्रियाएं होती है तथा कुछ क्रियाओं को संपन्न करने के लिए एक से अधिक कीज को एक साथ दबाया जाता है.
की बोर्ड की संरचना
हम कीबोर्ड की संरचना के आधार पर इसकी कीज को छः भागों में इस प्रकार बाँट सकते है-
- अल्फान्यूमेरिक कीज
- न्यूमेरिक कीज
- फंक्शन कीज
- स्पेशल पर्पस कीज
- माडीफायर कीज
- कर्सर मूवमेंट कीज
अल्फान्यूमेरिक कीज :-अल्फान्यूमेरिक कीज कीबोर्ड के केंद्र में स्थित होती है, जैसा आप किसी पारंपरिक मानवीय टाइपराइटर में देखते है. अल्फान्यूमेरिक कीज में वर्णमाला (A-Z या a-z), न्यूमेरिक अक्षर (0-9), विशेष चिन्ह (~!@#$%^&*()_+|\=-) होते है. इस सेक्शन में कीबोर्ड की कीज की व्यवस्था को QWERTY के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस सेक्शन की सबसे ऊपरी पंक्ति में (QWERTY) वर्ण होते है. इस सेक्शन में अंकों, चिन्हों तथा वर्णमालाओं के अतिरिक्त चार कीज टैब, कैप्स लॉक, बैकस्पेस और अल्टर कुछ विशेष कार्यो के लिए होती है.

न्यूमेरिक कीज :- न्यूमेरिक कीपैड में लगभग 17 कीज होती है जिनमें 0-9 तक के अंक, गणितीय ऑपरेटर्स, तथा कुछ विशेष कीज (Home, PgUP, PgDn, End, Ins, Enter तथा Del) होती है. विशेष कीज का संचालन Num Lock की को ऑन करके किया जा सकता है. यह आपके कंप्यूटर पर कैलकुलेटर की भांति कार्य करता है.

फंक्शन कीज :- कीबोर्ड के ऊपर संभवतः 12 फंक्शन कीज होती है जो F1,F2………..F12 द्वारा इंगित होती है. ये कीज निर्देशों को शाट कट के रूप में प्रयोग करने में सहायक होते है. इन कीज के कार्य सॉफ्टवेयर के अनुसार बदलते रहते है. F1 सामान्यतः प्रयोग में आने वाली सभी सॉफ्टवेयर में सहायता के लिए होती है.

इन्हें भी देखें :- Generation of Computer: कंप्यूटर की पीढियां
स्पेशल पर्पस कीज :- उन्नत किस्म के सॉफ्टवेयरों के विकास के बाद कीबोर्ड भी कई विशेष प्रकार की कीज के साथ उपलब्ध हो रहे है. ये कीज नए ऑपरेटिंग सिस्टम के कुछ विशेष कार्यों के अनुरूप होती है. उदाह्रंस्वरूप – स्लेप, पॉवर, वॉल्यूम, स्टार्ट, शॉर्टकट इत्यादि.

माडीफायर कीज :- इसमें तीन कीज होती है, जिसके नाम SHIFT(शिफ्ट), ALT (अल्टरनेट), CTRL(कण्ट्रोल) है. इनको अकेला दबाने पर कोई खास प्रयोग नहीं होता है, परन्तु जब अन्य किसी कीज के साथ इनका प्रयोग होता है तो ये उन कीज के input को बदल देती है. इसीलिए ये मोड़ीफायर कीज कहलाती है. जैसे- जब आप SHIFT बटन को A के साथ दबाते है, (जब कैप्स लॉक ऑफ रहता है) तो A input होता है जबकि सामान्य स्थिति में a प्रदर्शित होता है. उसी प्रकार जब आप CTRL का प्रयोग क के साथ करते है तो इसका प्रयोग कमांड की तरह विषय वस्तु (कंटेंट्स) को कॉपी करने में होता है. ALT का प्रयोग विंडो आधारित प्रोग्राम्स में मेनू को इनवोके करने में किया जाता है.

कर्सर मूवमेंट कीज :- इनमे चार प्रकार की अप, डाउन, लेफ्ट तथा राईट बटनों का प्रयोग कर्सर को स्क्रीन पर मूव कराने में किया जाता है. आप इन कीज को न्यूमेरिक की-पैड पर भी कर सकते है. इनका प्रयोग तभी किया जा सकता है जब NUMLOCK ऑन हो.

वायरलेस कीबोर्ड
वायरलेस कीबोर्ड user को कीबोर्ड में तार के प्रयोग से छुटकारा दिलाता है, आज बाजार में अनेक कंपनी के वायरलेस कीबोर्ड है. भले ही ये कीबोर्ड एक लिमिटेड डिस्टेंस में use किये जाने से स्वतंत्र हुए है. इस्न्मे तकनिकी जटिलता के कारण इनका प्रयोग ज्यादा नहीं हो पाया है. ज्यादातर वायरलेस कीबोर्ड के साथ एक माउस जो जोड़ी बनाकर एक रिसीवर के साथ इनका प्रयोग किया जाता है जो की कीबोर्ड और माउस दोनों को नियंत्रित करता है.

इन्हें भी देखें Types of Computer Systems: कंप्यूटर के विभिन्न प्रकार
सकारात्मक पहलु
- तार के झंझट से मुक्ति
- डेस्क स्पेस की बचत
- कीबोर्ड पोर्टेबिलिटी अर्थात कीबोर्ड के इधर उधर ले जाया जा सकता है
नकारात्मक पहलु
- तकनिकी जटिलता
- अपेक्षाकृत महंगा
- कम टिकाऊ
एर्गोनोमिक कीबोर्ड
बहुत साड़ी कंपनियों ने अर्गोनोमिक कीबोर्ड का निर्माण किया है, जो अधिक आराम देते है. ऐसे कीबोर्ड विशेष तौर पर user की कार्यक्षमता बढ़ाने के साथ साथ लगातार टाइपिंग कार्य के कारण उत्पन्न होने वाली कलाई के दर्द को कम करने में सहायक होते है.

टर्मिनल्स
टर्मिनल एक असामान्य प्रकार का input device है जो संभवतः या तो मिनी कंप्यूटर या mainframe कंप्यूटर के साथ प्रयोग होता है. इसमें एक मॉनिटर तथा कीबोर्ड होते है तथा यह रिमोट कंप्यूटर से जुदा होता है. इसका प्रयोग data input करने तथा रिमोट कंप्यूटर से data प्राप्त करने में होता है. देखने में यह बिलकुल डेस्कटॉप कंप्यूटर की तरह लगता है तथा इसे आपने रेलवे स्टेशन या बैंक में देखा होगा. इसमें कुछ तो फिक्स्ड टर्मिनल होते है जबकि कुछ को एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है.डम्ब, स्मार्ट तथा इंटेलीजेंट टर्मिनल के प्रकार है.

डम्ब टर्मिनल
डम्ब तेर्निमल सबसे कम कीमत का टर्मिनल होता है तथा यह पूरी तरह से मुख्य कंप्यूटर पर निर्भर होता है. इसमें स्वयं किसी प्रकार की प्रोसेसिंग करने की क्षमता नहीं होती है. यह केवल की-बोर्ड की सहायता से डाटा इनपुट कर सकता है तथा मुख्य कंप्यूटर से सूचनार्थ डाटा प्राप्त कर सकता है जो स्क्रीन पर प्रदर्शित होता है. आप प्रायः रेलवे आरक्षण काउंटर पर जो कंप्यूटर देखते है वह डम्ब टर्मिनल ही होता है.
स्मार्ट टर्मिनल
स्मार्ट तेर्निमल में डाटा की इनपुट तथा प्राप्त करने की क्षमता के अतिरिक्त कुछ सिमित प्रोसेसिंग शक्तियां होती है. इसमें. किसी नए निर्देश का लिखना या प्रोग्रामिंग करना वर्जित होता है. पॉइंट ऑफ़ सेल टर्मिनल एक अत्यंत प्रचलित समरत टर्मिनल है जो लगभग कैश रजिस्टर की तरह होता है, परन्तु यह सेल पॉइंट के सेल तथा इन्वेंट्री डाटा भी ग्रहण करता है जो प्रोसेसिंग हेतु केन्द्रीय कंप्यूटर को भेज दिया जाता है. बिग बाजार तथा सुपर बाजार में इन्ही टर्मिनलों का प्रयोग होता है.
इंटेलीजेंट टर्मिनल
इंटेलीजेंट टर्मिनल में डाटा इनपुट, डाटा प्राप्ति के अतिरिक्त स्वतंत्र प्रोसेसिंग की भी क्षमता होती है. इसमें की-बोर्ड, मॉनिटर तथा मुख्य कंप्यूटर लिंक के अतिरिक्त प्रोसेसिंग यूनिट, स्टोरेज यूनिट एवं सॉफ्टवेयर होता है. ऐसे कंप्यूटर का प्रयोग बड़ी-बड़ी कम्पनियो अपनी शाखा कार्यालय में करती है.
यह भी देखें :- Computer Hardware and Software Block Diagram of a Computer
पाइंटिंग इनपुट डीवाईसेस
पाइंटिंग इनपुट डीवाईसेस देविसस्वे इनपुट डीवाईसेस है जो इंगित (पॉइंट) कर निर्देशों. को इनपुट करती है. उदाहरण के तौर पर टेक्स्ट को कॉपी करने के लिए माउस किसी कमांड को टाइप करने के बजाय कॉपी कमांड की एक आकृति (आइकॉन) को इंगित करके उसका चयन करती है. माउस, लाइट पेन, टच स्क्रीन, टेबलेट पोइंटिंग इनपुट डीवाईसेस के उदाहरण है.
माउस
1980 के दशक में कंप्यूटर के साथ संभवत इनपुट डिवाइस के रूप में केवल कीबोर्ड का प्रयोग किया जाता था. कुछ वर्षों से विशेषकर जब से ग्राफिकल यूजर इंटरफेस युक्त कंप्यूटर सॉफ्टवेयर तथा ऑपरेटिंग सिस्टम आने लगे हैं, पर्सनल कंप्यूटर के साथ पॉइंट डिवाइस के रूप में माउस का प्रयोग होता है. इसका नाम माउस शायद लोगों ने कंप्यूटर के विभिन्न भाग जैसे मॉनिटर तथा सीपीयू के कैबिनेट की अपेक्षाकृत इसके आकार को देख कर रखा होगा.
माउस एक इनपुट डिवाइस है जिसको एक हाथ से यूज किया जा सकता है. एक प्लेन सरफेस पर माउस को मूव करने पर माउस के अंदर एक बाल घूमता है जो माउस में इनबिल्ट रोलर्स को मुंह करता है.
माउस 1963 में स्टैनफोर्ड रिसर्च सेंटर के डगलस एंगलबार्ट द्वारा devized किया गया था, जिसनें कीबोर्ड के बहुत से इम्इपोर्नटेन्मेंट में से एक या जिसने की-बोर्ड के बहुत से इम्पोर्टेन्ट फंक्शन का स्थान ले लिया और यूजर्स को मोना टोनी से आजाद किया.
माउस में दो या अधिक बटन होते हैं. लेफ्ट हैंड साइड बटन का अधिक यूज होता है जबकि राइट हैंड साइड बटन का यूज़ स्पेशल केसेस में स्पेशल परपज के लिए होता है. अपने तरीके से आप इसे आसानी से ऑपरेटिंग सिस्टम सॉफ्टवेयर में उपलब्ध ऑप्शंस की हेल्प द्वारा चेंज कर सकते हैं. माउस के बटन को दबाकर आप इस स्क्रीन पर एक icons को सिलेक्ट कर सकते हैं. माउस के बटन को फिंगर द्वारा दबाना क्लिकिंग कहलाता है. सामान्यता एक माउस का प्रयोग स्क्रीन पर पॉइंट नेविगेट करने के लिए और पिक्चर व ग्राफिक्स ड्रा करने के लिए किया जाता है.
माउस के फंक्शन
माउस आपको किसी विशिष्ट आइकॉन में या किसी विशेष लोकेशन की स्क्रीन पर इंगित करता है. फिर भी केवल इंगित करना ही यूजर के लिए माउस को उपयोगी नहीं बनाता है. यह पांच मुख्य कार्य को करता है जिन्हें आप कीबोर्ड की सहायता से इतनी सहजता से नहीं कर सकते हैं यह निम्न है.
- क्लिकिंग
- राईट क्लिकिंग
- डबल क्लिकिंग
- ड्रैगिंग
- स्क्रॉलिंग
क्लिकिंग – क्लिकिंग या सिंगल क्लिकिंग माउस के बाय बटन को दबाने को रिफर करता है. जब आप किसी ऑब्जेक्ट पर इंगित करते हैं तथा उसे क्लिक करते हैं तो आप ऑब्जेक्ट का चयन हो जाता है. इसके एग्जीक्यूशन में विविधता होती है. उदाहरण के लिए यदि आप फाइल मैन्यू को क्लिक तथा इंगित करते हैं तो यह चयन नहीं होता बल्कि ऑब्जेक्ट एग्जीक्यूट होता है तथा इसका सब मेनू प्रदर्शित हो जाता है. जबकि जब आप आइकॉन को अपने डेस्कटॉप पर क्लिक करते हैं तो यह इसके द्वारा सिलेक्ट होता है यह इस बात पर निर्भर करता है कि डेस्कटॉप को किस प्रकार कस्टमाइज किया गया है.
डबल क्लिकिंग – डबल क्लिकिंग का अर्थ माउस के बाय बटन को दो बार लगातार दबाना है. डबल क्लिकिंग का कार्य मुख्य रूप से ऑब्जेक्ट को आइकॉन फार्म में एग्जीक्यूट करना है. जब आप मेंन्यू को इंगित करते हैं तो दो बार क्लिक करने की कोई आवश्यकता नहीं होती.
राईट क्लिकिंग – राइट क्लिकिंग का अर्थ माउस के दाएं बटन को दबाना है. इसका प्रयोग पॉपअप मैन्यू अथवा शॉर्टकट मीनू को एक्सीक्यूट करने के लिए करते हैं. उदाहरण के लिए जब आप ऑब्जेक्ट को इंगित करते हैं तथा क्लिक करते हैं तो कुछ महत्वपूर्ण कमांड कॉपी, कट, रिनेम का प्रयोग क्रमश: कॉपी करने, मूव करने तथा उसका नाम बदलने में होता है. आप इच्छानुसार माउस की प्रॉपर्टी को कस्टमाइज कर उसके बाय तथा दाएं बटनो के कार्यों को भी बदल सकते हैं.
ड्रैगिंग – ड्रैगिंग का अर्थ एक ऑब्जेक्ट को एक स्थान से दूसरे स्थान पर खींच कर ले जाना होता है. इसका प्रयोग विशेषकर तब होता है जब आप विंडोज एक्सप्लॉरर में कॉपी करने तथा मूव करने जैसे कार्यों को शॉर्टकट के रूप में कर रहे हैं. आप इसका प्रयोग किसी ऑफिस एप्लीकेशन जैसे वर्ड अथवा एक्सेल में ब्लॉक के चयनित क्षेत्र को कॉपी तथा मूव कराने में कर सकते हैं. इसका प्रयोग करने के लिए आप ऑब्जेक्ट को इंगित करें तथा बाय बटन को क्लिक करें फिर बटन को पकड़े हुए इक्छित स्थान पर ले जाकर छोड़ दें. जहां ड्रैगिंग होती है वही ड्रॉपिंग होती है इसलिए इस विधि को ड्रैग और ड्रॉप विधि कहा जाता है.
स्क्रॉलिंग – माउस में दोनों बटनों के मध्य एक स्क्रॉल बटन होता है. इसका प्रयोग स्क्रीन की सामग्री को ऊपर नीचे करने में किया जाता है. यह बटन आमतौर पर सभी प्रोग्राम में उपयोगी नहीं होता है.
माउस के प्रकार
माउस तीन प्रकार के होते है-
- मैकेनिकल माउस
- ऑप्टिकल माउस
- कार्डलेस माउस
यह देखें :- Characteristics of Computer and Capability: कंप्यूटर के गुण और क्षमता
मैकेनिकल माउस – आजकल अधिकतर माउस मैकेनिकल ही होते हैं. इसमें एक रबड़ बाल होता है जो माउस के खोल के नीचे निकला हुआ होता है. जब माउस को सतह पर घूमाते हैं तब बाल उसके अंदर घूमता है माउस के अंदर बाल के घूमने से उसके अंदर के सेंसर कंप्यूटर को संकेत भेजते हैं.

ऑप्टिकल माउस – ऑप्टिकल माउस एक नए प्रकार का नॉन मैकेनिकल माउस है. यह तीव्र होता है परंतु मैकेनिकल माउस की अपेक्षा अधिक महंगा होता है. इसमें प्रकाश का एक पुंज इसके नीचे की सतह से उत्सर्जित होता है, जिसके परावर्तन के आधार पर यह ऑब्जेक्ट की दूरी दिशा तथा गति तय करता है.

कार्डलेस माउस – कार्ड लेस माउंट सबसे उन्नत तकनीक के माउस है जो आपको तार के झंझट से मुक्ति देते हैं. यह radio-frequency तकनीक की सहायता से आपके कंप्यूटर को सूचना कम्यूनिकेट करते हैं. इसमें दो मुख्य कॉम्पोनेन्ट ट्रांसमीटर तथा रिसीवर होते हैं. ट्रांसमीटर माउस में होता है जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नल के रूप में माउस की गति तथा इसके क्लिक किए जाने की सूचना भेजता है. रिसीवर जो आपके कंप्यूटर से जुड़ा होता है, इस सिग्नल को प्राप्त करता है, इसे डिकोड करता है तथा इसे माउस ड्राइवर सॉफ्टवेयर तथा ऑपरेटिंग सिस्टम को भेजता है. रिसीवर अलग से जोड़ा जाने वाला एक यंत्र भी हो सकता है तथा इसको मदरबोर्ड के किसी स्लॉट में कार्ड के रूप में भी प्रयोग किया जाता है.

लाइट पेन
लाइट पेन को इलेक्ट्रॉनिक पेन या स्टाइलस भी कहा जाता है. इसका प्रयोग कंप्यूटर स्क्रीन पर कोई चित्र या ग्राफिक्स बनाने में किया जाता है. लाइट पेन में एक प्रकाश संवेदनशील कलम की तरह की डिवाइस होती है जो डिस्प्ले स्क्रीन पर ऑब्जेक्ट के चयन के लिए होती है. लाइट पेन की सहायता से बनाया गया कोई भी ग्राफिक कंप्यूटर पर स्टोर किया जा सकता है तथा आवश्यकता अनुसार इसमें संशोधन किया जा सकता है अथवा इसका आकार बदला जा सकता है. इसका प्रयोग पाम टॉप कंप्यूटर जैसे टेबलेट पीसी, पर्सनल डिजिटल असिस्टेंट एवं आधुनिक मोबाइल डिवाइसेज में किया जाता है.

डिजिटाइजर टेबलेट या ग्राफ़िक्स टेबलेट
डिजिटाइजर टेबलेट या ग्राफिक्स टेबलेट माउस या पेन के साथ एक ड्राइंग सरफेस है. इसका प्रयोग हैंडमेड करेक्टर्स को डायरेक्टली कंप्यूटर में इनपुट करने के लिए किया जाता है. यह एक स्कैनिंग हैंड जिससे पुक कहा जाता है के साथ इनकॉरपोरेटेड होता है. पुक का यूज़ करैक्टर की डिजायर्ड ग्राफिकल पोजीशन को पाने के लिए किया जाता है.

स्कैनिंग इनपुट Devices
स्कैनिंग इनपुट डिवाइस वे इनपुट डिवाइस है जो डाटा या कमांड स्कैनिंग प्रोसेस के माध्यम से पूरा करती हैं. स्केनर, ऑप्टिकल कैरक्टर रिकॉग्निशन, ऑप्टिकल मार्क रीडर, मैग्नेटिक इंक कैरक्टर रिकॉग्निशन, स्कैनिंग इनपुट डिवाइस इसके उदाहरण हैं.
स्कैनर
स्केनर एक इनपुट डिवाइस है जो कंप्यूटर में किसी पृष्ठ या पृष्ठ पर बनी ग्राफिक्स, आकृति या लिखित टेक्स्ट को सीधे इनपुट करती है. इसका मुख्य लाभ यह है कि यूजर को सूचना टाइप नहीं करनी पड़ती है.
OCR, OMR, MICR सभी स्केनर के उदाहरण हैं. इनके साथ ही यहां स्पेशल स्कैनर्स भी हैं जिन्हें इमेज स्कैनर्स कहा जाता है. यह किसी भी फोटोग्राफ, ग्राफिक्स या आकृति को कंप्यूटर की मेमोरी में डिजिटल फॉर्म में इनपुट करते हैं. आजकल पी.सी. के लिए अनेक प्रकार के स्केनर उपलब्ध है जिनके रेसालुशन 300 इंच से प्रारंभ होती है. यहां रेसालुशन से अभिप्राय उस चित्र की स्पष्टता से है जिसे स्कैन किया जाता है.
ऑप्टिकल करैक्टर रिकग्निशन OCR
ऑप्टिकल कैरक्टर रिकॉग्निशन ऐसी तकनीक है जिसके द्वारा ओसीआर प्री प्रिंटेड कैरेक्टर्स डिस्टिंग्विश किए जाते हैं और उसके बाद रिकॉग्नाइज किए जाते हैं. टाइपराइटर द्वारा प्रिंटेड करैक्टर, कैश रजिस्टर और क्रेडिट कार्ड के करैक्टर को ओसीआर रीड कर सकता है. ओसीआर फोंट्स प्रायः कंप्यूटर में इंस्टॉल होती है. वे ओसीआर स्टैंडर्ड भी कहलाते हैं. ओसीआर के अंतर्गत स्पेशल करैक्टर, लेटर्स, नंबर्स और स्पेशल सिंबॉल्स होती है जिन्हें एक लाइट सोर्स द्वारा रीड किया जा सकता है जो उन्हें इलेक्ट्रिकल सिगनल्स में कन्वर्ट करती है जिसे प्रोसेसिंग के लिए कंप्कोयूटर भेजा जाता है.

ऑप्टिकल मार्क रीडर OMR
ऑप्टिकल मार्क रीडर एक ऐसी इनपुट डिवाइस है जो किसी कागज या पेन के चिन्ह की उपस्थिति और अनुपस्थिति को जांच की है या पेपर को रेट करती है. इसमें चिन्हित कागज पर प्रकाश डाला जाता है और पेपर के परावर्तित प्रकाश को प्राप्त किया जाता है. इस टेक्नोलॉजी के पीछे का कांसेप्ट पेंसिल मार्क पर लाइट का सोखना है और इस प्रकार यहां मार्क निशान से लाइट रिफ्लेक्शन की इंटेंसिटी कम कम होगी इस टेक्निक द्वारा का हम सिर्फ एक प्री डिफाइंड फॉर्मेट पेपर को ही चेक कर सकते हैं. ओएमआर किसी प्रतियोगी परीक्षा की उत्तर पुस्तिका को जांचने के लिए सर्वाधिक प्रचलित तथा उपयोगी डिवाइस है. इन परीक्षाओं के प्रश्नपत्र में ऑब्जेक्टिव टाइप के प्रश्न होते हैं और विद्यार्थी को चार या पांच विकल्पों में से उत्तर छांट कर संबंधित बॉक्स को पेंसिल से भरना होता है.

MICR मैग्नेटिक इंक करैक्टर रिकग्निशन
मैग्नेटिक इंक करैक्टर रिकॉग्निशन का बैंकिंग में व्यापक यूज किया जाता है. जहां कोई व्यक्ति बहुत सारे चेक के साथ डील करता है. शोर्ट में जाना जाने वाला एमआईसीआर एक मशीन रीडिंग करेक्टर्स का सिद्धांत है. जो इंक से परिपूर्ण मैग्नेटाइज पार्टिकल से बना होता है. एक स्पेशल परपज मशीन है. जो इंक कंटेनिंग मैग्नेटाइज्ड पार्टिकल से बने कैरेक्टर्स को रीड करने वाले एक रीडर/शोर्टर के रूप में जानी जाती है. e13 बी और सी एम सी 7 दो मुख्य फॉण्ट है जिनका यूज़ ग्लोबली होता है.
इसके अलावा अपने यूनिक फोंट के लिए एमआईसीआर करैक्टर एक मैग्नेटिक इंक या डोनर के साथ प्रिंटेड होते हैं. मैग्नेटिक प्रिंटिंग का यूज किया जाता है ताकि कैरेक्टर्स को एक सिस्टम के अंदर रिलायबली रेट किया जा सके, तब भी जब वे अन्य मार्क्स के साथ ओवर प्रिंटेड हो जैसे कैंसिलेशन स्टांप. करैक्टर एक ऐसी डिवाइस द्वारा रीड किये जाते हैं जो नेचर में एक ऑडियो टेप रिकॉर्डर के हेड के सिमिलर होती है और कुले वाले शपेस के लिए लेटर सुनिश्चित करती है कि रीड हेड के लिए हर लेटर एक यूनिट वेवफॉर्म produce करता है. यह मेथड फास्ट यथोचित और साथ ही आटोमेटिक है इसलिए एरर के चांसेस बहुत ही कम है.

ऑडियो विसुअल इनपुट Devices
ऑडियो विजुअल इनपुट डिवाइस से वे इनपुट डिवाइस है जो डाटा या कमांड्स को ध्वनि या दृश्य के माध्यम से इनपुट करती है. वॉइस रिकॉग्निशन, माइक्रोफोन, डिजिटल कैमरा आदेश के उदाहरण है.

वौइस् रिकग्निशन devices
वॉइस रिकॉग्निशन कंप्यूटर टेक्नोलॉजी में लेटेस्ट एडवांसमेंट है. वॉइस रिकॉग्निशन डिवाइस का प्रयोग करके कोई डेटा को टाइप करने के बजाय कंप्यूटर को डिटेक्ट कर के डाटा को डायरेक्टली इनपुट कर सकता है. यह टेक्नोलॉजी ट्रेडिशनल डाटा इनपुट सिस्टम की बहुत सारी कमियों को दूर करने में हेल्प भी करता है. बहुत यूज़फुल होने के बावजूद इस टेक्नोलॉजी में भी कुछ कमियां हैं. यह सिस्टम स्पीकर की voice और तदनुसार शब्दों का रिकॉग्नाइज करता है. एफिशिएंट डाटा इनपुट के लिए वॉइस रिकॉग्निशन डिवाइस की कई अन्य टेक्निक है. अधिकतर वॉइस रिकॉग्निशन डिवाइस स्पीकर डिपेंडेंट होती है. अतः डिवाइसेज सिर्फ सिंगल स्पीकर द्वारा उच्चारित शब्द को समझ सकती है लेकिन यहां कुछ ऐसी वॉइस रिकॉग्निशन डिवाइसेज जो स्पीकर डिपेंडेंट नहीं है और उनके पास रेगुलर इनपुट्टिंग फैसिलिटी नहीं है.
मिक्रोफोनेस
ध्वनी के माध्यम से निर्देशों को इनपुट करना एक आम बात है. कंप्यूटर में हम ध्वनि इनपुट करने के लिए प्राथमिक रूप में माइक्रोफोन का प्रयोग करते हैं. माइक्रोफोन एक ऑडियो इनपुट डिवाइस से जिसका प्रयोग कर ऑडियो इनपुट कंप्मेंयूटर एंटर किया जाता है. माइक्रोफोन तथा स्पीकर के समायोजन से कंप्यूटर पर इंटरनेट के माध्यम से वॉइस चैट की जा सकती है. इसके अतिरिक्त यह आपकी आवाज को रिकॉर्ड करने में भी आपकी सहायता कर सकता है. इसका बेहतर ढंग से उपयोग करने हेतु आपके कंप्यूटर में साउंड कार्ड का होना आवश्यक है.

ऑटोमेटेड टेलर मशीन (ATM)
ऑटोमेटेड टेलर मशीन का या एटीएम ऐसी मशीन है जो हमें प्रायः बैंक कैंपस में, शॉपिंग मॉल्स में, रेलवे स्टेशनों पर, हवाई अड्डे पर, बस स्टैंड पर, तथा अन्य महत्वपूर्ण बाजारों व सार्वजनिक स्थानों पर मिल जाती है. यह इनपुट डिवाइस का एक विशिष्ट रूप है एटीएम की सहायता से आप किसी भी समय यहां तक की अर्धरात्रि में भी पैसे निकाल सकते हैं. यद्यपि कुछ एटीएम केवल 12 घंटों की सेवा देते हैं परंतु अधिकतर एटीएम 24 घंटे की सेवा प्रदान करते हैं. एटीएम की सहायता से आप पैसे जमा कर सकते हैं, अपने ऋण की अदायगी कर सकते हैं, अपने बिलों का भुगतान कर सकते हैं तथा अपने खाते के लेनदेन व बकाया भी जान सकते हैं. आप एटीएम का प्रयोग तभी कर सकते हैं जब आपके पास एटीएम कार्ड तथा एक वैलिड पर्सनल आईडेंटिफिकेशन नंबर जिसे संक्षेप में पिन कहा जाता है हों. एटीएम बैंक के मुख्य कंप्यूटर से जुड़ा होता है तथा ऑनलाइन प्रोसेसिंग सिस्टम का एक उत्कृष्ट उदाहरण है. एटीएम के विकास के साथ ही बैंकिंग पहले से कहीं अधिक आसान हो गई है तथा लोग अपने एटीएम के साथ ही बैंकिंग लेनदेन को आमतौर पर प्राथमिकता देते हैं. इसका कारण है कि अब उन्हें बैंक अकाउंट में घंटों कतारबद्ध होकर खड़ा नहीं होना पड़ता. इस परेशानी से मुक्ति के साथ समय की भी बचत होती है. एक और जहां ग्राहकों को इससे राहत मिली है वहीं दूसरी ओर बैंकों के मानव संसाधन पर आ रही लागत भी कम होनी है. इसके सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि ग्राहक संतुष्टि है क्योंकि इसमें गलती होने की संभावना बिल्कुल ना के बराबर है. एटीएम के अनगिनत फायदे हैं साथ ही इसके नकारात्मक पहलू यह है कि इसमें धोखा देने के लिए पर्याप्त अवसर है तथा बिजली की अनुपस्थिति में कार्य नहीं लिया जा सकता है.

दोस्तों हमारा प्रयास है की आप सभी तक विभिन्न जॉब्स, रिजल्ट की जानकारी सही समय तक पहुचें ताकि आप उस जॉब्स के लिए सही समय पर अप्लाई (आवेदन) कर सक्रें. यही हमारा उद्देश्य भी है. इसीलिए आप प्रतिदिन हमारे वेबसाइट को फॉलो करें जिसमे हम प्रतिदिन जॉब्स, रिजल्ट, Current Affairs आदि के बारें में अपडेट करते रहते है.
यदि आपका कोंई विचार, सुझाव है तो हमें पोस्ट के निचे कमेंट सेक्शन में बेशक बताएं. जिससे हम वेबसाइट के कमियों को दूर करके और बेहतर बनाकर आपके सामने रख सकें.
नवीनतम रोजगार समाचार, रिजल्ट, Current Affairs एवं अपडेट के लिए हमारे Telegram ग्रुप और फेसबुक ग्रुप को ज्वाइन करे.