Himalayan Keeda Jadi Benefits – भारत और चीन के सैनिकों के बीच अभी बॉर्डर पर बहुत तनाव चल रहा है. आइयें आपको हम बताते है इसकी कुछ खास वजह जिसमें से एक वजह है भारत के अरुणाचल प्रदेश में मिलने वाली सोने से भी ज्यादा महँगी एक जड़ी है।

Himalayan Keeda Jadi Benefits
Himalayan Keeda Jadi Benefits – भारत और चीन के सैनिकों के बीच अभी बॉर्डर पर बहुत तनाव चल रहा है. आइयें आपको हम बताते है इसकी कुछ खास वजह जिसमें से एक वजह है भारत के अरुणाचल प्रदेश में मिलने वाली सोने से भी ज्यादा महँगी एक जड़ी है हाल ही में जारी रिपोर्ट में यह दावा किया है। चीनी सैनिक कॉर्डिसेप्स चुराने की फिराक में भारतीय क्षेत्र में दाखिल हो जाते हैं। कॉर्डिसेप्स को हिंदी में कीड़ा जड़ी और आम भाषा में हिमालयन वियाग्रा भी कहते हैं।
कॉर्डियोसेप्स फंगस या कीड़ा जड़ी क्या होता है?
यह हपिलस फब्रिकस नाम के एक कीड़े के इल्लियों यानि कैटरपिलर्स को मारकर उन पर पनपता है. पीले भूरें रंग के इस जड़ी का आधा हिस्सा जड़ी जैसा दीखता है और आधा हिस्सा कीड़ा का इसीलिए इसे कीड़ा जड़ी कहा जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम कार्डीसेप्स सयनेसिस है. यह कैटरपिलर्स और जड़ी का रेयर कॉम्बिनेशन है. कीड़ा जड़ी 2 इंच लम्बा होता है और इसका वजन 300 से 500 मिलीग्राम होता है.
कहाँ पर मिलता है कीड़ा जड़ी?
कीड़ा जड़ी मुख्य रूप से भारतीय हिमालय और दक्षिण-पश्चिम चीन में किंघई-तिब्बती पठार में काफी ऊंचाई पर पाया जाता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक यह सिक्किम में 4500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर भी पाया जाता है। इतनी ऊंचाई पर ट्रीलाइन खत्म हो जाती है यानी जहां के बाद पेड़ उगने बंद हो जाते हैं।
मई से जुलाई में जब बर्फ पिघलती है तो इसके उगने या पनपने का चक्र शुरू जाता है। यह भारत, नेपाल और भूटान के अन्य भागों में भी पाया जाता है। न्यूज मैगजीन द वीक के मुताबिक, इसे नेपाल और तिब्बत में यारशागुंबा कहते हैं। यह एक पोएटिक नाम है, जिसका अर्थ उत्तराखंड में गर्मियों की घास, सर्दियों का कीड़ा और कीड़ा जड़ी है।
क्या कीमत होती है कीड़ा जड़ी की
चीन, भारत, भूटान और नेपाल के कई इलाकों में कीड़ा जड़ी की काफी ज्यादा डिमांड है। द वीक के मुताबिक, इंटरनेशनल मार्केट में 1 किलोग्राम कीड़ा जड़ी की कीमत 65 लाख रुपए तक है। यानी यह सोने से भी महंगा है। 2009 तक इसकी कीमत 10 लाख रुपए के करीब थी। 2022 में कीड़ा जड़ी की मार्केट वैल्यू करीब 1,072.50 मिलियन डॉलर, यानी 107 करोड़ रुपए आंकी गई है।
क्या उपयोग है कीड़ा जड़ी का
चीन और भारतीय हिमालय वाले इलाकों में पारंपरिक चिकित्सक किडनी और नपुंसकता जैसी बीमारियों में इसका इस्तेमाल करते हैं। द वीक के मुताबिक, कीड़ा जड़ी के फायदे के बारे में सबसे पहले 15वीं शताब्दी के तिब्बती औषधीय ग्रंथ ‘एन ओशन ऑफ एफ्रोडिसियाकल क्वालिटीज’ में किया गया है।
सिक्किम में पारंपरिक चिकित्सक और स्थानीय लोग 21 अलग-अलग बीमारियों में कीड़ा जड़ी का उपयोग करने के लिए कहते हैं। हेल्थ वेबसाइट वेरी वेल हेल्थ कीड़ा जड़ी को सप्लीमेंट के रूप में लेने के कई फायदे बताए हैं। नीचे की स्लाइड में इसे देख सकते हैं…
हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट इसके फायदे के बारे में बहुत कुछ नहीं कहते हैं। लेकिन वैज्ञानिकों को कॉर्डिसेप्स में पाए जाने वाले बायोएक्टिव मॉलिक्यूल कॉर्डिसेपिन से बहुत उम्मीद है। वैज्ञानिक कहते हैं कि इसमें बड़ी चिकित्सीय क्षमता है और यह एक दिन एक प्रभावी नए एंटीवायरल और एंटी-कैंसर उपचार में बदल सकता है।
चीन में इस कीड़ा जड़ी का किस तरह होता है इस्तेमाल
हेल्थ वेबसाइट हेल्थलाइन के मुताबिक, चीन में पारंपरिक चिकित्सा में सदियों से थकान, बीमारी, किडनी इंफेक्शन और सेक्स पावर को बढ़ाने के लिए कीट और फंगस के अवशेषों के प्रयोग की सिफारिश की गई है।

चीन में कीड़ा जड़ी का इस्तेमाल प्राकृतिक स्टेरॉयड की तरह किया जाता है। फौरी तौर पर शरीर की एनर्जी बढ़ाने की क्षमता की वजह से चीन में ये जड़ी खिलाड़ियों खासकर एथलीटों को दी जाती है। ये करामाती जड़ी 2009 में स्टुअटगार्ड वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान भी सुर्खियों में आई थी। चैंपियनशिप में 1500 मीटर, 3000 मीटर और 10 हजार मीटर वर्ग में चीन की महिला एथलीटों के रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया था।
इसके बाद उनकी ट्रेनर मा जुनरेन ने मीडिया में बयान दिया था कि उन्हें यारशागुंबा यानी कीड़ा जड़ी को नियमित रूप से खिलाया गया था। इसी वजह से महिला एथलीटों ने रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया। हेल्थलाइन के मुताबिक, इस फंगस में प्रोटीन, पेपटाइड्स, अमीनो एसिड, विटामिन B-1, B-2 और B-12 जैसे पोषक तत्व बहुतायत में पाए जाते हैं। ये फौरन ताकत देते हैं और खिलाड़ियों का जो डोपिंग टेस्ट किया जाता है उसमें ये पकड़ा नहीं जाता।
इस कीड़ा जड़ी के लिए चीन को क्यों घुसपैठ करनी पड़ती है?
चीन कीड़ा जड़ी का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। इंडो पैसिफिक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशन्स के मुताबिक, पिछले दो सालों में चीन के सबसे बड़े उत्पादक क्षेत्र किंघाई में फंगस की कमी से कीड़ा जड़ी की फसल में काफी कमी देखी गई है। हालांकि, इसी दौरान बेशकीमती कॉर्डिसेप्स की मांग पिछले एक दशक में तेजी से बढ़ी है।
एक्सपर्ट का कहना है कि ज्यादा डिमांड और लिमिटेड रिसोर्स की वजह से कीड़ा जड़ी की अधिक कटाई हुई है। इसकी वजह से चीन में 2018 से ही इसके उत्पादन में कमी देखने को मिली। इस दौरान 41,200 किलोग्राम कीड़ा जड़ी का उत्पादन हुआ जो 2017 के मुकाबले 5.2% कम है। 2017 में कीड़ा जड़ी का 43,500 किलोग्राम उत्पादन हुआ था। IPCSC के मुताबिक, 2010 और 2011 में चीन की प्रोविंशियल मीडिया इसका उत्पादन 1.5 लाख किलोग्राम बताया गया था।
किंघाई में चीनी कॉर्डिसेप्स कंपनियां हाल के सालों में स्थानीय लोगों को लाखों युआन का भुगतान कर रही हैं, ताकि कीड़ा जड़ी की कटाई के लिए पूरे पहाड़ों को बंद कर दिया जा सके। सर्वे से पता चलता है कि कीड़ा जड़ी की सालाना होने वाली फसल में गिरावट आई है। ज्यादा कटाई को इसके लिए जिम्मेदार माना जा रहा है।
IPCSC के मुताबिक हिमालय रीजन के कुछ क्षेत्रों में लोगों की जीविका का साधन ही कीड़ा जड़ी है। ये लोग पहले इसे इकट्ठा करते हैं और फिर बेचते हैं। हिमालय और तिब्बती पठार में घरेलू आय का 80% सोर्स कीड़ा जड़ी है।
जंगल में कीड़ा जड़ी काफी दुर्लभ हैं। वहीं अब तक लेबोरेट्री में हेल्दी कीड़ा जड़ी उगाना सफल नहीं रहा है, इससे रिसर्च में काफी बाधा आ रही है। हालांकि, चुंगबुक नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर मी क्योंग ली और डॉ. अयमन तुर्क समेत उनकी टीम ने ऐसी जगह पर इसे उगाया है, जहां पर वातावरण को कंट्रोल नहीं किया गया। इससे कीड़ा जड़ी की रिसर्च को लेकर एक उम्मीद जगी है। इस रिसर्च के निष्कर्ष को फ्रंटलाइन इन माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित किया गया था।
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